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Mar 23, 2018

मिलिए सुनील दददा से...जिनके बेडरूम में रहते हैं पटटे पूत, गुटरगूं करने वाला कबूतर


=पत्नी की मौत के बाद अकेले रह गए सुनील दददा के जीने का सहारा बन गए पशु पक्षी
=हर पशु पक्षी की है अपनी अलग कहानी, जिसका कोई नहीं था, तब दददा ने दी जिंदगी

शाहजहांपुर।
मिलिए शाहजहांपुर जिले के खुदागंज में रहने वाले सुनील मिश्रा उर्फ दददा से। पत्नी की अरसा पहले मौत हो गई। अकेलापन था जिदंगी में तो उन्होंने अपना मन चिड़िया चिनगुनों में लगा लिया। बेडरूम में इनके पटटे पूत रहते हैं। कबूतर गुटरगूं करते हैं। बेडरूम से बाहर आते हैं तो गौरैया उनका इंतजार करती है। यह उन पशु पक्षियों के हमदर्द और खैरख्वाह हैं, जिनका सहारा कोई नहीं होता है। जो भी पशु पक्षी इनके घर में रहते हैं, सबकी अपनी कहानी है। इस कहानी का हीरों अगर कोई है तो वह अपने दददा हैं,जगत दददा...गौरैया वाले, कबूतर वाले, बुलबुल वाले, बंदर वाले, तोते वाले अपने दददा।

खुदागंज नगर में पशु पक्षी प्रेमी नाम से मशहूर सुनील मिश्रा उर्फ दद्दा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। मगर उनकी यह पहचान उनके पक्षी प्रेम के नाते ही बनी है। सुनील मिश्रा खुदागंज के मोहल्ला साहूकारा में रहते हैं। इनके पिता जी पुलिस में कांस्टेबल थे। अब से लगभग 60 वर्ष पूर्व खुदागंज थाने में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने अपना निवास भी खुदागंज में बना लिया था। सुनील मिश्रा दद्दा का पालन-पोषण बहुत छोटे पर से खुदागंज में ही हुआ। परंतु दुर्भाग्यवश उनकी पत्नी का देहांत होने के बाद बीमारी के जाल में फंसने के कारण आर्थिक रुप से दद्दा परेशान रहने लगे। मात्र एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान के सहारे रोजी-रोटी चलाने का काम करते हैं। अपनी ईमानदारी व खुद्दारी के चलते उन्होंने कभी किसी से कोई मदद नहीं मांगी। 

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जिसका कोई नहीं, उसके दददा तो हैं यारों
खुद का परिवार के लिए दिनभर जद्दोजहद करने के बाद दद्दा कभी भी अपने पालतू पक्षियों व नगर में घूमने वाले आवारा पशु पक्षियों की चिंता में ही रहते। उन्हें कहीं भी कोई भी लाचार पशु या पक्षी सड़क पर मिल जाए तो वह तुरंत उसको उठाकर उसका पूरा इलाज व खाना-पानी की व्यवस्था अपने आवास पर करते हैं। जब पशु पक्षी स्वस्थ हो जाते हैं, तब उसको  पुन: छोड़ देते हैं, ताकि वह आजादी से फिर विचरण कर सकें। 

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सुनील मिश्रा का बेडरूम कम चिड़ियाघर ज्यादा
सुनील मिश्रा के मकान में पशु पक्षियों के रहने की कोई अलग व्यवस्था नहीं है। उन्होंने अपने कमरे में ही सभी निरीह पक्षियों को स्थान दे रखा है। उनके कमरे की शोभा उनका तोता पट्टे व कबूतर बढ़ा रहे हैं। बकौल सुनील मिश्रा लगभग 4 साल पहले सुबह टहलने के दौरान यह तोता पेड़ के नीचे गिरा पड़ा था, उड़ने में असमर्थ था, सुनील मिश्रा इसको वहां से ले आए और उसको खिला-पिलाकर स्वस्थ बना दिया। वहीं उनका कबूतर जिसको एक कुत्ते ने पूरी तरीके से चबा लिया था, वर्ष 2010 में यह कबूतर उनको खुदागंज की सड़क पर मरणासन्न अवस्था में पड़ा  मिला था, दद्दा आज भी इस कबूतर के दाना पानी की व्यवस्था अपने परिवार की तरह कर रहे हैं। वहीं अपने कमरे के ठीक आगे उन्होंने गौरैया के लिए खुला पिंजड़ा बैठने के लिए रखा है। वहीं पर दाने पानी की व्यवस्था कर रखी है, जिसे वह सुबह उठकर नित्य रूप से प्यार करते हैं। उनके आवास पर ही एक पेड़ पर तमाम बुलबुल आकर बैठती हैं। सुनील मिश्रा का यह पक्षी प्रेम मन को प्रफुल्लित करता है। सुनील गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने कई अस्वस्थ जानवरों का इलाज भी करवाया। 

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तब करंट से जख्मी बंदर की सेवा की
एक घटना दददा ने बताई, जिसमें लगभग 8 वर्ष पहले 11000 की बिजली लाइन से टकराकर बंदर झुलस गया था। सुनील गुप्ता उसको घर ले आए। लगभग 2 वर्ष तक उसकी सेवा की। उसके शरीर में कीड़े पड़ गए थे। 2 वर्ष बाद वह बंदर पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया, फिर अपने गंतव्य स्थल पर चला गया। सुनील मिश्रा हृदय के रोगी भी हैं। वह बताते हैं कि यह सब करने से उन्हें सुकून मिलता है और इन्हीं सभी पशु पक्षियों की दुआओं के चलते उनका परिवार व की बीमारी का इलाज हो रहा है। सुनील मिश्रा संग्रह की एक जीती जागती उदाहरण है उनके पास तमाम ऐसे चीजें आज भी उपलब्ध है जो नगर में खोजने पर भी नहीं मिलती। सुनील मिश्रा का यह जीव प्रेम वह मुश्किल ही देखने को मिलता है।


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साभार:-दैनिक हिन्दुस्तान, शाहजहांपुर
लेखक : रोहित सिंह का असली नाम तो विजय विक्रम सिंह है। वह हिन्दुस्तान में खुदागंज से प्रतिनिधित्व करते हैं। रोहित अमर उजाला में भी सेवाएं दे चुके हैं। रोहित बीपीएड हैंं। शाहजहांपुर के सुदूर खुदागंज की आर्थिक, सामाजिक मसलों को समय समय पर बेहद दमदार तरीके से उठाते हैं। रोहित बेहद संवेदनशील हैं। इनसे इनके मोबाइल फोन नंबर 7007620713 पर संपर्क किया जा सकता है।

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