वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Oct 10, 2023

यह पृथ्वी हमारा नइहर है


हम मरना नहीं बोलते

इस पीड़ा की अभिव्यक्ति

हम चले जाने से किया करते हैं


हमें बताया जाता है 

कि मरना बोलने से

सबकुछ खत्म हो जाने का अर्थ प्रकट होता है

जबकि चले जाने में 

लौट आने की उम्मीद बची रहती है


जब एक वृक्ष जाता है

उसका बीज उसे लौटा लाता है

जब नदिया जातीं हैं

बादल उसको लौटाने धरती पर उतर आता है



हम जब भी निकलते हैं 

सिर्फ यह देह लिए निकलते हैं

शेष सब यहीं छूट जाता है

वही पाने के लिए 

हम यहां बार-बार लौटते हैं


यह धरती हमारा नइहर है

हम यहां से निकलते हैं

यहीं आकर किलकने लगते हैं फिर से

मिथिलेश कुमार राय: लेखक बिहार के सुपौल जनपद के रहने वाले हैं, ग्रामीण अंचल के विषयों को अपने लेखों व कविताओं में बड़े ही भावनात्मक संवेदना तथा पारंपरिक ज्ञान को बहुत ही जबरदस्त ढंग से प्रस्तुत किया है, इनसे mithileshray82@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।

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