वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Jan 3, 2018

सिने अभिनेता रणदीप हुड्डा ने पद्मभूषण बिली अर्जन सिंह को दी पुष्पांजलि

बाघ सरंक्षण पर कार्यशाला का हुआ आयोजन
बिली अर्जन सिंह की आठवीं पुण्यतिथि पर जसवीर नगर पलिया में दुधवा लाइव डॉट कॉम व द लास्ट कॉल संस्था ने बाघ सरंक्षण पर एक वर्कशाप का आयोजन किया, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चर्चित फिल्मस्टार रणदीप हुडा थे, हुड्डा ने दुधवा के बाघों को बचाने की मुहिम में अपनी भागीदारी की बात कही, और कहा कि तराई के जंगल खासतौर से दुधवा टाइगर रिजर्व धरती पर स्वर्ग की तरह है, उन्होंने बिली अर्जन सिंह जैसी महान शख्सियत को बच्चों के पाठ्यक्रम में सम्मलित करने की भी बात कही ताकि घर घर बिली हो जो कुछ नया और धरती के पर्यावरण के लिए बेहतर कर सके।

कार्यशाला का संचालन वन्यजीव विशेषज्ञ के के मिश्र ने किया, मिश्र ने बिली से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया और कहा कि अर्जन सिंह कहते थे बाघ बचेंगे तो जंगल बचेंगे, जंगल बचेंगे तो बरखा आएगी और सभी को आबोहवा मिलेगी,  आदमी को अपने अस्तित्व को बचाना है तो उसे बाघ और जंगल बचाने होंगे, के के मिश्र बताया कि कैसे श्रीमती इंदिरा गांधी बिली के कार्यों से प्रभावित थी, और दुधवा के जंगलों को बिली के ही प्रयासों के चलते श्रीमती गांधी ने 1977 में दुधवा को नेशनल पार्क का दर्ज़ा दिया, बिली की बाघिन तारा, तेंदुआ प्रिंस व जूलिएट हैरिएट कैसे उनके टाइगर हावेन पार्क में रहते थे किस तरह उन्होंने उन्हें जंगलों में रहने के काबिल बनाया, बिली को पद्म श्री, पद्मभूषण, इंटरनेशनल पालगेटी अवार्ड और उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती से सम्मानित किया।

कार्यक्रम में तराई नेचर कंजर्वेशन सोसाइटी के प्रमुख डॉ वीपी सिंह ने बिली से जुड़े अपने संस्मरणों में बिली की बाघिन तारा के किस्से सुनाए, बाघों के लिए गन्ने के खेत उनके प्राकृतिक पर्यावास है किसानों को बाघों से तालमेल बनाना होगा, एकतरह से बाघ फसलों की सुरक्षा करते हैं।
विशिष्ट अतिथि एमएलसी शशांक यादव ने बिली को श्रद्धांजलि देते हुए कहा दुधवा के जंगलों के सरंक्षण में वह अपनी महती भूमिका निभाएंगे।
पूर्व प्रमुख पलिया गुरप्रीत सिंह जॉर्जी ने बिली को एक महान विजनरी बताया और कहा कि वो 100 साल आगे की सोचते थे, उन्ही की सोच का नतीजा है खीरी के सरंक्षित जंगल जो आज दुधवा टाइगर रिजर्व के तौर पर मौजूद है।
कार्यक्रम में रेंजर बेलरायां अशोक  कश्यप जोकि एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर भी हैं ने पशु पक्षियों के सरंक्षण के लिए बिली के प्रयासों को नमन किया
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शमिंदर बोपाराय जिन्होंने बिली के जसवीर नगर को बिली की यादों से सजाया है आउट तकरीबन 50 एकड़ की जमीन में खेती बंद कर जंगल लगवा दिया है, अब जसवीर नगर एक प्राइवेट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के तौर पर विकसित हो गई है, शमिंदर ने बिली की यादों को और उनकी सोच को आगे बढाने की बात कही।
कार्यशाला में जनपद के महत्वपूर्ण लोग मौजूद रहे, डॉ धर्मेंद्र सिंह, वेटनरी डाक्टर सौरभ सिंह, नेहा सिंह, एडवोकेट गौरव गिरी, ब्रजेश मिश्रा, रामौतार मिश्रा, शिक्षक राममिलन मिश्र, हरिशंकर शुक्ल, राहुलनयन मिश्र, अचल मिश्रा  मुगलीं प्रोडक्शन के निदर्शक व तमाम वन्यजीव प्रेमियों ने पद्मभूषण बिली अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि दी
बिली अर्जन सिंह की आठवीं पुण्यतिथि पर जसवीर नगर पलिया में दुधवा लाइव डॉट कॉम व द लास्ट कॉल संस्था ने बाघ सरंक्षण पर एक वर्कशाप का आयोजन किया, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चर्चित फिल्मस्टार रणदीप हुडा थे, हुड्डा ने दुधवा के बाघों को बचाने की मुहिम में अपनी भागीदारी की बात कही, और कहा कि तराई के जंगल खासतौर से दुधवा टाइगर रिजर्व धरती पर स्वर्ग की तरह है, उन्होंने बिली अर्जन सिंह जैसी महान शख्सियत को बच्चों के पाठ्यक्रम में सम्मलित करने की भी बात कही ताकि घर घर बिली हो जो कुछ नया और धरती के पर्यावरण के लिए बेहतर कर सके।


कार्यशाला का संचालन वन्यजीव विशेषज्ञ के के मिश्र ने किया, मिश्र ने बिली से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया और कहा कि अर्जन सिंह कहते थे बाघ बचेंगे तो जंगल बचेंगे, जंगल बचेंगे तो बरखा आएगी और सभी को आबोहवा मिलेगी,  आदमी को अपने अस्तित्व को बचाना है तो उसे बाघ और जंगल बचाने होंगे, के के मिश्र बताया कि कैसे श्रीमती इंदिरा गांधी बिली के कार्यों से प्रभावित थी, और दुधवा के जंगलों को बिली के ही प्रयासों के चलते श्रीमती गांधी ने 1977 में दुधवा को नेशनल पार्क का दर्ज़ा दिया, बिली की बाघिन तारा, तेंदुआ प्रिंस व जूलिएट हैरिएट कैसे उनके टाइगर हावेन पार्क में रहते थे किस तरह उन्होंने उन्हें जंगलों में रहने के काबिल बनाया, बिली को पद्म श्री, पद्मभूषण, इंटरनेशनल पालगेटी अवार्ड और उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती से सम्मानित किया।


कार्यक्रम में तराई नेचर कंजर्वेशन सोसाइटी के प्रमुख डॉ वीपी सिंह ने बिली से जुड़े अपने संस्मरणों में बिली की बाघिन तारा के किस्से सुनाए, बाघों के लिए गन्ने के खेत उनके प्राकृतिक पर्यावास है किसानों को बाघों से तालमेल बनाना होगा, एकतरह से बाघ फसलों की सुरक्षा करते हैं।
विशिष्ट अतिथि एमएलसी शशांक यादव ने बिली को श्रद्धांजलि देते हुए कहा दुधवा के जंगलों के सरंक्षण में वह अपनी महती भूमिका निभाएंगे।
पूर्व प्रमुख पलिया गुरप्रीत सिंह जॉर्जी ने बिली को एक महान विजनरी बताया और कहा कि वो 100 साल आगे की सोचते थे, उन्ही की सोच का नतीजा है खीरी के सरंक्षित जंगल जो आज दुधवा टाइगर रिजर्व के तौर पर मौजूद है।
कार्यक्रम में रेंजर बेलरायां अशोक  कश्यप जोकि एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर भी हैं ने पशु पक्षियों के सरंक्षण के लिए बिली के प्रयासों को नमन किया
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शमिंदर बोपाराय जिन्होंने बिली के जसवीर नगर को बिली की यादों से सजाया है आउट तकरीबन 50 एकड़ की जमीन में खेती बंद कर जंगल लगवा दिया है, अब जसवीर नगर एक प्राइवेट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के तौर पर विकसित हो गई है, शमिंदर ने बिली की यादों को और उनकी सोच को आगे बढाने की बात कही।
कार्यशाला में जनपद के महत्वपूर्ण लोग मौजूद रहे, डॉ धर्मेंद्र सिंह, वेटनरी डाक्टर सौरभ सिंह, नेहा सिंह, एडवोकेट गौरव गिरी, ब्रजेश मिश्रा, रामौतार मिश्रा, शिक्षक राममिलन मिश्र, हरिशंकर शुक्ल, राहुलनयन मिश्र, अचल मिश्रा  मुगलीं प्रोडक्शन के निदर्शक व तमाम वन्यजीव प्रेमियों ने पद्मभूषण बिली अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि दी.



दुधवा लाइव डेस्क

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