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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Mar 10, 2014

मशहूर हो चुका दुधवा का बाघ आखिरकार पकड़ा गया !


फोटो साभार: सीज़र सेनगुप्त 
आखिरकार पकड़ा ही लिया गया उस बाघ को.

लखीमपुर खीरी/दुधवा टाइगर रिजर्व. महीने भर से लखीमपुर खीरी जनपद के भीरा-बिजुआ इलाके में एक बाघ की मौजूदगी ने लोगों में कौतूहल का विषय बनी हुई हुई थी. वह जिस गाँव में देखा जाता वहां मेले सा माहौल पैदा हो जाता लोग बाग़ पिकनिक मनाने आ जाते, मीडियाकर्मियों के चमकते फ्लैश लाईटों और वनविभाग के कर्मियों की संगीनों, हाथियों और कार जीपों के मध्य ग्रामीण जनता जिनके लिए यह तमाशे से ज्यादा कुछ नहीं...

इस बाघ पर एक मानव ह्त्या और एक व्यक्ति पर हमला करने का आरोप भी है, जंगल के राजा पर इंसानी हुकूमत अपने क़ानून का परचम लहराने की कोशिश में है, आबादी में बाघ क्यों आया इसके पीछे की वजहें मालूम करने के बजाए बस सरकारी मज़मा मौजूद होता है उस जगह पर जैसे कोइ बहुत बड़ा अपराधी वहां मौजूद हो, चूंकि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में जानवरों को मतदान का अधिकार नहीं है इस लिए उन्हें कोइ सरकारी रियायत...

दुधवा लाइव के पास मौजूद है एक्सक्लूसिव वीडियो जिसमे बाघ को खाबड़ लगाकर पकड़ने की नाकाम कोशिश कर रहा है वन विभाग.....

सूत्रों के मुताबिक़ भीरा इलाके में इसी बाघ को वन विभाग द्वारा गन्ने के खेत में खाबड़ (जाल ) लगाकर उसे पकड़ने की कोशिश की गयी, जैसे वह बाघ न होकर कोइ खरगोश व् हिरन है, सरकारी व्यवस्था जब शिकारियों के तरीके इस्तेमाल करने लगे तो सोचिए....खाबड़ में फंसा और फिर उसे तोड़कर निकले बाघ की मनोदशा कैसी होगी वह घायल भी हो सकता है, और घायल अवस्था में वह आदमखोर की प्रवत्ति को भी अपना सकता है मजबूरन...आने वाले वक्त में अपने इन अनुभवों के चलते आदमी के लिए खतरनाक हो सकता है, ये गैर वैज्ञानिक तरीके बाघ और इंसान के बीच संघर्ष को और बढ़ावा देगी.

सूत्रों के मुताबिक़ अभी अभी किशनपुर वन्य जीव विहार के निकट सिख टांडा में बाघ को पकड़ लिया गया है. देखी उसे चिड़ियाघर की उम्र कैद नसीब होती है या खीरी के जंगलों में आज़ादी .......


दुधवा लाइव डेस्क 








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