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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Dec 25, 2011

लखीमपुर खीरी के जंगलों में एक बाघिन ने चार शावको को जन्म दिया


photo courtesy: Vipin Sharma's blog at earthmatters ning

जंगल से निकली एक खुशी की खबर-

दुधवा लाइव डेस्क (लखीमपुर खीरी- 24 दिसम्बर) खीरी जनपद के दक्षिण खीरी वन-प्रभाग के मैलानी रेन्ज में एक बाघिन ने चार शावको को जन्म दिया। रिजर्व फ़ारेस्ट में बाघों की आमद-रफ़्त हमेशा रही, और कई बार तेन्दुओं और बाघों ने अपने शावको को यहां जन्म दिया, यह अच्छे संकेत है, इस प्रजाति की संख्या में वृद्धि के। और यह साबित होता है कि बाघों ने इन इलाकों को अपनी टेरिटरी बना रखा। बावजूद इन रिजर्व फ़ारेस्ट में इनकी सुरक्षा व भोजन दोनो की कमी है। दुधवा टाइगर रिजर्व से इतर खीरी के कभी संमृद्ध रहे ये जंगल अब मानव-गतिविधियों के चलते अपने मूल स्वरूप को शनै: शनै खो रहे है, और इनकी जैव-विवधिता भी जीर्ण-शीर्ण हुई है। किन्तु अभी भी संभावनायें बची हुई है, यदि खीरी और पीलीभीत के जंगलों को प्रोटेक्टेड एरिया का दर्जा मिल जाए यानि एक नये नेशनल पार्क का निर्माण किया जाए तो बाघों की प्रजाति की वृद्धि के लिए उनके दायरे को बढाया जा सकता है, और ये इलाके कभी इस प्रजाति के पूर्वजों के निवास स्थल रहे।

खीरी-पीलीभीत के जंगल जो कभी तेन्दुओं और बाघों की मौजूदगी के लिए मशहूर रहे वहां दोबारा इन प्रजातियों को सरंक्षण देकर इनकी तादाद में बढोत्तरी संभव है।




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