वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Mar 23, 2011

...अब मेरे घर के आंगन में आती है गौरैय्या


गौरैया तुम रोज मेरे घर आया करो....


वह एक साल पहले की बात है, जब आप सबने दुआएं की थी कि गौरैय्या मेरे घर भी आए। वाकई दिल से निकली थीं वह दुआएं और मेरे घर पर गौरैय्या ने आना शुरू कर दिया। गौरैय्या अब डरती नहीं है, वह बेधड़क पूरे अधिकार के साथ आती है और गेहूं धुलते समय ही आकर चुगने लगती है। पिता जी भी अब अपने कदमों को सहारे से रखते हैं कि कहीं उड़ न जाए। तब मैं शाहजहांपुर था और अब भी मैं शाहजहांपुर हूं। हां, गौरैय्या को अपने घर के आंगन में गेहूं का दाना चुगते देखने के लिए ऊपर वाले ने मुझे छह महीने के लिए मुझे अपने घर पर तैनाती दे दी। मैं और मेरा बेटा एक दिन घर की सीढ़ियों पर बैठे थे और अचानक सामने लगी घास में पड़े गेहूं के दानों को चुगने के लिए गौरैय्या आ गई, मैनें देखा तो खुशी का ठिकाना न रहा। दौड़ कर घर के अंदर गया और सबको बुलाकर लाया गौरैय्या को दिखाने के लिए। फिर मेरा बेटा भी शोर मचा रहा था, जोर-जोर से कह रहा था गौरैय्या तुम आओ मेरे पास...वह गौरैय्या के पास जाना चाहता था, लेकिन वह उड़ जा रही थी। इसके बाद बाद तो बहुत देर तक बेटा रोता रहा कि पापा मुझे गौरैय्या चाहिए। किसी तरह से समझाया, फिर वह खेलने में लग गया...भूल गया। अब मैं अपने घर के आंगन में गौरैय्या को अठखेलियां करते देखता हूं...तब मुझे याद आते हैं, वह लोग जो मेरी एक साल पुरानी खबर पढ़कर खूब रोए थे, तब उनके मुंह से दुआएं निकली थीं कि विवेक भाई के घर गौरैय्या जरूर आए। दुआएं रंग लाईं, गौरैय्या मेरे घर आने लगी।

कुछ दिन पहले की बात है कि मेरे दोस्त सुदीप ने बताया कि भैय्या आप कहां है, फोन ट्राई किया, नहीं मिला। इसीलिए आया हूं आपको यह बताने के लिए कि मेरे गांव के घर के आंगन में लगे आइने को गौरैय्या ने तोड़ दिया है। बड़ा ही सुखद अहसास हुआ था तब। मेरे दोस्त पंकज बाथम ने आफिस आकर बताया कि सेंगर जी मैंने फार्म हाउस पर गौरैय्या बड़ी तादात में आने लगी हैं। ऐसे वह तमाम किस्से मेरे सामने आने लगे, जिसमें गौरैय्या को देखने और गौरैय्या के आने का जिक्र होता है।

पूरा एक साल हो गया। बीस मार्च को गौरैय्या दिवस होता है। मेरे जेहन में बार-बार कुछ लिखने को विचार उमड़ रहे थे, लेकिन होली थी और काम बहुत था, घर आया था दिवाली के बाद तो सबके साथ समय बिताने से अपने को रोक नहीं पा रहा था। गौरैय्या तो आने लगी है मेरे ही नहीं, आप सबके आंगन में भी।

इस गौरैय्या ने मुझे शाहजहांपुर में पहचान दे दी। जो भी मिलता है साल भर के बाद, दो महीने के बाद, छह महीने के बाद आकर केवल उसी गौरैय्या वाली खबर की चर्चा करता है। इस बार गौरैय्या को लोगों ने बहुत याद नहीं किया, इसका कारण है कि अब गौरैय्या लोगों के आंगन में आती है, ताखों में रहती है, दाना चुगती है और हम सबको उसमें दिखती है बेटी और बहन। तो सामने होता है, उसे याद नहीं किया जाता है। धन्यवाद केके भाई...आपकी मुहिम रंग लाई...हम सब आपके सहयोगी के तौर पर काम कर रहे थे। आगे भी कोशिश रहेगी कि हम आपका साथ देते रहें गौरैय्या जैसी और भी चिड़ियों को संरक्षित करने में।

"गौरैया दिवस 20 मार्च 2010 को विवेक सेंगर की गौरैया पर दुधवा लाइव में प्रकाशित एक मार्मिक कथा जिसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।"

विवेक सेंगर (लेखक हिन्दुस्तान दैनिक शाहजहांपुर के ब्यूरो चीफ हैं, इनसे viveksainger1@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं)

2 comments:

  1. sushil shukla,shahjahanpur reporter news-24March 23, 2011 at 2:04 PM

    vivek ji aap bahut accha likhte hain lekhni me aap ka koi jabab nahi hai aap lajavab likhte hain sir ji .aap ne aaj se ek saal pahle amar ujala me gauraiya per ek lekh likha tha jise maine amar ujala aur dudhva live per kam se kam 8 baar padha tha kyunki wo humko baut accha laga tha so maine kaibaar usko padha aur har baar padhne per meri aankho me aansoo chalak aate the.aaj theek ek saal baad aaj fir se hum ne aap ka ye lekh dudhva live per padha aaj firse ek baar isko padhte time per muzhe wohi ek saal purana wala lekh yaad aa aya hai.aap ki manokaamna poori hui is ka matlav hai ki aap bahut lucky man hain. jo aap k ghar me firse gauraiya aane lagi hai.meri god se dua hai ki gauraiya aap k ghar me hi apna ghar bana le aur fir wo parmanent aap hi k ghar me rahe........----------aap ka chota bhai sushil shukla,shahjahanpur reporter news-24

    ReplyDelete
  2. Dear Vivek ..mast likha hai .. ham log bhi 20 March ko Gauryya Divas manate hain. Birds se mujhe kuch jyada hi lagav hai..please click on this link
    http://rajubindas.blogspot.com/2009/05/blog-post_07.html

    ReplyDelete

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