वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Feb 12, 2011

दुधवा में घमासान !

दुधवा नेशनल पार्क में वन-रक्षकों ने उप-निदेशक के खिलाफ़ खोला मोर्चा-

सरंक्षित क्षेत्र में शाखू के वृक्षों के कटान में प्रथम दृष्टया वन रक्षकों की ही संलिप्तता पाई गयी !
 तीन वन-रक्षकों के विरूद्ध कार्यवाही
 वन-रक्षक संघ के दबाव के चलते डी डी द्वारा कार्यवाही वापस
दुधवा लाइव डेस्क* (पलियाकलां-खीरी) दुधवा नेशनल पार्क की लोकप्रियता घटी या बढ़ी है यह अलग बात है परन्तु दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक की लोकप्रियता के ग्राफ में जबरदस्त गिरावट आने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सन् 2005 में एफडी के खिलाफ खोले गए मोर्चा में जहां पार्क के कर्मचारी उपनिदेशक के पक्ष में लामबंद होकर अंदोलन करने को तैयार हो गए थे। वहीं आज पार्क कर्मचारी इसी दुधवा मुख्यालय में उपनिदेशक के खिलाफ मोर्चा खोलकर प्रदर्शन किया।

उल्लेखीय है कि दुधवा टाइगर रिजर्व के निर्वतमान उपनिदेशक पीपी सिंह ने सन् 2005 में तत्कालीन एफडी महेन्द्र सिंह की हिटलर-शाही के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपना त्यागपत्र भी दे दिया था तब दुधवा पार्क के समस्त कर्मचारी ही नहीं वरन् नगर के विभिन्न संगठनों के तमाम लोगों ने यहां मुख्यालय पर एफडी के खिलाफ प्रदर्शन करके विरोध जताया था। आधा दशक से ऊपर का समय व्यतीत हो गया है इस बात का। इस बीच दुधवा नेशनल पार्क की ख्याति फैली और उसकी लोकप्रियता में कितना इजाफा हुआ यह अलग का विषय है किन्तु इसी दुधवा नेशनल पार्क के कर्मचारी जो उपनिदेशक के साथ जीने मरने को तैयार रहते थे वही कर्मचारी उपनिदेशक के खिलाफ हो गए हैं यह स्थिति कोई एक दिन में नहीं बनी होगी उपनिदेशक की कार्यशैली से कर्मचारियों में पनपा गुस्सा इस बात को भी जाहिर करता है कि उनकी लोकप्रियता में जबरदस्त गिरावट आई है। अगर ऐसा नहीं होता तो पार्क के कर्मचारी यहां के मुख्यालय पर आज उपनिदेशक के खिलाफ मोर्चा खोलकर प्रदर्शन नहीं करते? प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों की हुई सभा में वक्ताओं ने तमाम गंभीर आरोप उपनिदेशक पर लगाए साथ ही उनके खिलाफ भी कर्यवाही किए जाने की मांग भी कर डाली। हालांकि कर्मचारियों के बीच आकर मंच से उपनिदेशक ने यह कहा कि उन्होंने आजतक टीए का भुगतान नहीं लिया है बताकर यह संदेश देने का पूरा प्रयास किया कि वह पूरी ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि घर में मुखिया के निर्णय का भी विरोध होता है लेकिन ईमानदारी से काम करें। हाथ पैर में कोढ़ होगा तो काटना ही पड़ेगा। जंगल के रक्षक है तो भक्षक न बने बेईमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी भले ही तबादला कर दिया जाए यहां से चला जाऊंगा। यद्यपि उनके द्वारा दिए गए आश्वासन पर कर्मचारियों के उत्पीड़न के मुद्दे को लेकर डीडी और कर्मचारियों के मध्य होने वाला टकराव टल गया है। लेकिन यह बात स्पष्ट हो गई है कि कहीं न कहीं नेतृत्व में कुछ ऐसी कमी जरूर हुयी है जिससे कर्मचारियों का गुस्सा लावा बनकर फूट पड़ा।

दुधवा के उप-निदेशक की कार्य शैली का विरोध

दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक की कार्यशैली के विरोध में यहां दुधवा मुख्यालय पर वनरक्षक संघ के तत्वाधान में हुए प्रदर्शन में पार्क के ही नहीं वरन् अन्य डिवीजनों के कर्मचारी शामिल हुए। ऐसी स्थिति में भारत-नेपाल सीमावर्ती जंगल के साथ ही पार्क की अन्य रेंजों के परिक्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करने वाल वन्यजीवों की सुरक्षा पूरे दिन लगभग भगवान के भरोसे यूं रही कि इनके रखवाले कर्मचारी यहां आ गए थे। इसे वन की रखवाली पर विपरीत असर पड़ सकता था। यह स्थिति प्राकृतिक नहीं वरन् उपनिदेशक द्वारा पैदा की गई कृत्रिम परिस्थितियों से उत्पन्न हुई। अगर वह गौरीफंटा कटान मामले के आरोपी वनरक्षकों के खिलाफ दूरदर्शिता से नियमानुसार कार्यवाही करते तो शायद यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती और न ही कर्मचारी आंदोलन करते और न ही उन्हें कर्मचारियों के बीच आकर अपनी सफाई देनी पड़ती।

दुधवा के उप-निदेशक व वन-रक्षक संघ के मध्य नोक-झोक-

भारत-नेपाल सीमावर्ती दुधवा नेशनल पार्क की गौरीफंटा रेंज के जंगल में अवैध वन कटान के मामले में तीन वनरक्षकों को विगत दिवस दुधवा के उपनिदेशक ने आदेश देकर जेल रवाना कर दिया था। यद्यापि जिला मुख्यालय पर यूनियन नेताओं से हुई नोंकझोंक के बाद कर्मचारियों की वापसी तो हो गई थी। किन्तु उपनिदेशक संजय पाठक के अडियल रवैये के खिलाफत करते हुये वनरक्षक संघ वन विभाग शाखा दुधवा टाइगर रिजर्व द्वारा आंदोलन करने की घोषणा की गई थी। इसके तहत यहां दुधवा पार्क मुख्यालय पर डीडी कार्यालय के सामने जुटे आक्रोशित कर्मचारियों ने प्रदर्शन करके तीखा विरोध जताया। तत्पश्चात कर्मचारियों की हुई सभा को संबोधित करते हुए विभिन्न कर्मचारी यूनियन के नेताओं समेत वक्ताओं ने उपनिदेशक द्वारा किए गए आरोपी कर्मचारियों के नाजायज उत्पीड़न का तीखा विरोध दर्ज कराते हुए डीडी पर तमाम गंभीर आरोप लगाए साथ ही उन के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग भी कर डाली। इस दौरान उपनिदेशक के बुलावे पर कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे सहायक वन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पियूष मोहन श्रीवास्तव, वनरक्षक संघ अध्यक्ष महेन्द्र नाथ मिश्र, फेडरेशन आफ फारेस्ट एसोशिएशन के अध्यक्ष पतिराज सिंह, मुकुल वर्मा, अशोक सिंह, रविकांत वर्मा, अनिल त्रिपाठी, नरेन्द्र सिंह, विजय सिंह आदि ने कार्यालय में जाकर उपनिदेशक से वार्ता की। लगभग एक घंटा तक चली वार्ता के दौरान डीडी ने अपनी सफाई दी साथ ही कर्मचारी हितों के लिए किए गए कार्यो की दुहाई देते हुए आरोपी वनरक्षकों के खिलाफ जांच कराने के बाद ही कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया। इस पर आपसी सहमति बन जाने के बाद कर्मचारियों की सभा के मंच पर आकर उपनिदेशक संजय पाठक ने कहा कि दुधवा के जंगल की 159 कर्मचारी सुरक्षा कर रहे हैं। जिसके चलते दुधवा नेशनल पार्क की पहचान विश्व के मानचित्र पर है। इस छवि को खराब न करें मुखिया होने के नाते यही हमारा अनुरोध है। उन्होंने कहा कि सर्विस में आज तक टीए नहीं लिया है जबकि यहां के कर्मचारियों का बकाया 18-18 माह का वेतन दिलाया साथ ही दैनिक कर्मचारियों से घूस के रूप में लिया जाने वाला पांच प्रतिशत का कमीशन भी बंद करा दिया है पांच साल का बकाया भत्ता दिलवाने का प्रयास चल रहा है। अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को नकारते हुए कहा कि आपकी अदालत में हूं जो फैसला लेना है वह स्वयं फैसला करें। किन्तु हमारा कहना है कि जंगल के रक्षक है तो भक्षक न बने और रक्षक के दायित्व में मान सम्मान न खोएं। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि आरोपी वनरक्षकों का निलंबन अदेश स्थगित रहेगा और पूरे प्रकरण की जांच कराने के बाद कार्यवाही की जाएगी। इस आश्वासन पर कर्मचारियों ने आंदोलन समाप्त कर दिया है। इस आश्वासन पर कर्मचारियों ने आंदोलन समाप्त कर दिया है। सभा का संचालन महेन्द्र नाथ मिश्र ने किया। इस अवसर पर वनरक्षक संघ लखीमपुर अध्यक्ष अशोक शुक्ला, मंत्री रविकांत वर्मा, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष महेश कुमार, दैनिक श्रमिक संघ अध्यक्ष संतोष मिश्र, फेडरेशन आफ फारेस्ट एसोसिएशन अध्यक्ष पतिराज सिंह, मंत्री विजय कुमार, उपाध्यक्ष रामकुमार, संरक्षक ज्वाला प्रसाद, वनरक्षक संघ के महामंत्री राकेश शुक्ला सहित दुधवा पार्क कर्मचारियों के साथ ही नार्थ एवं साउथ फारेस्ट डिवीजन के वन कर्मचारी उपस्थित रहे।

1 comment:

  1. Why are you against Deputy Director ? If he his working honestly, please allow him to do so. Please allow him to protect Dudhwa.
    Whole article is in bad taste.


    RAVINDRA YADAV

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