वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Dec 7, 2010

..हम तुम इक जंगल से गुजरे...और शेर आ जाए

photo courtesy: boyplakwatsa.wordpress.com
..हम तुम इक जंगल से गुजरे...और शेर आ जाए
 ...जब बाघ ने कार को किया किस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स....!!

खीरी जिले का एक खूबसूरत बाघ जिसने मारूति सुजुकी के वैगानार माडल की पूरी जाँच की, संभवता नतीजे सकारात्मक निकले...जांच रिपोर्ट आनी अभी बाकी हैं!

दुधवा की सैर करने आए एक पर्यटक परिवार  को वो आठ  मिनट  जिन्दगी मे शायद ही कभी  भुलेंगे।  बात सोमवार की है...शाहजहांपुर  जिले से दुधवा घूमने आये समसुद्दीन और उनके परिवार के लोग दुधवा के जंगल में घूमने निकले तो उनको वहां के नज़ारे और प्रकृतिक सुन्दरता मन्त्र मुग्ध कर रही थी। बच्चे और वह खुद अपनी वैगन आर कार में सवार ....जंगल के जीव जन्तुओं को देखते आगे बढ़ रहे थे..बीच बीच में कैमेरे को क्लिक  कर सुन्दर नाजारों को हमेशा के लिए अपने यादगार बना रहे थे..कार.आगे बढ रही थी..सबको जंगल के राजा को देखने की मन मे चाह थी...भदरौला ब्लाक के पास जैसे ही कार पहुचीं गाइड ने कहा स्स्स्सस्स्स्सश्छ चुप हो जाइए वो देखिए...सामने सबकी नजरे गई तो अवाक रह गए...पीली धरियों वाला..जवान बाघ  सामने खडा था..कार की ब्रेक पर पैर जम गए थे..बाघ ने इधर उधर शान से देखा फ़िर जंगल में जाने की बजाए कार की तरफ बढ चला...अब क्या था...सबके होश फाख्ता होने लगे... किसी तरह कार के शीशे बन्द किए..पर बाघ भी मूड में था, बिल्कुल कार के आगे आ गया. ...सबकी सांस थम गई...बाघ और आगे बढ़कर कार के शीशे पर अपने पन्जे रख कर कुछ सूंघने  लगा...अब तो सबकी घिग्घी बंध गई...बाघ करीब चार मिनट तक कार के इर्द गिर्द घुमता रहा..बाघ ने कार का शीशा चूमा और धीरे से उतर गया....पर कार मे बैठे लोगो के दिल में भय और रोमांच के वो लम्हे घबराहट को पैदा कर गए..एक तरफ बाघ को देखने का वो अलौकिक सुख था वही डर से हालत खराब.....

जब पीछे भी बाघ....

..आनन फानन मे कार मे बैक गियर लगाया... पर ये क्या पीछे भी एक बाघ मस्ती मे खडे घूर रहे थे...अब तो सबकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई...बस खयाल ये था के किसी तरह यहाँ से निकलो... घबराहट में कार बैक करने से शीशे भी शहीद हो गए....पर वो आठ मिनट शायद ही इस परिवार को कभी जिन्दगी में भूले....दो दो बाघों से ऐसे आमना सामना जिन्दगी की यादों में समेटे यह परिवार वापस लौट गया।


प्रशान्त "पीयुष" (लेखक टी०वी० पत्रकार है, वन्य जीवन में विशेष अभिरूचि, खीरी जिले में निवास, इनसे prashantyankee.lmp@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं।) )

3 comments:

  1. ये खबर भी सुन्दर है और गीत भी!
    http://www.youtube.com/watch?v=tBJj-3sgcd0

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  2. apne aap me behter khaber...yesi khaber kabhi-kabi hi milti hain...badhai tillu

    ReplyDelete
  3. khabar manoranjak aur lekhan unnda kism ki hai

    ReplyDelete

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