वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Sep 5, 2010

एक बाघ के पीछे पड़े हैं तमाशबीन!

एक खूबसूरत बाघ को बचाने की सिफ़ारिश क्या आप संग हैं!
इन्सान और बाघ के मध्य एक खेल जिसमें हार बाघ की होना निश्चित है, या तो उसे चिड़ियाघर में कैद या इन्सानों द्वारा मौत! यहां आम और सरकारी इन्सान में मैं विभेद नही कर रहा! हम किसी जानवर की समस्या को न तो समझने की कोशिश करते है और न ही उसे मौका देते है उसके ही घर में सकून से रहने का! आखिर में मीडिया जुटती वैज्ञानिक और कथित वन्य जीव प्रेमी मैदान में हाजिर होते है और छपास के नशे को ग्रहण कर संतुष्टि की सांस लेते है! नतीजा जस का तस!
आखिर क्यों जंगल से बाहर आते है ये जानवर
यदि आते है तो हर्ज क्या! क्यों हल्ल मचता है, उनके लिए तो सारी जमीन एक सी है, फ़िर वह जंगल हो या खेतखलिहान! हम एतिहात के बजाए उस जीव के पीछे पड़ जाते है तमासबीन की तरह, उसे आक्रोशित करते है, और उसे अपराधी बनाते जाते है जब तक कि उसकी ईह-लीला समाप्त न हो जाए!

पीलीभीत के जंगलो से निकले इस टाइगर के बारे  में एक्सपर्टो की राय से मै इतफाक नहीं  रखता क्योकि  न तो यह जख्मी है न ही इसके  दन्त ,पंजा , नाख़ून  टुटा  हुए है  न ही टाइगर  बुढ़ा हो  कर लाचार है | ये टाइगर दो  या तीन  साल  का  बच्चा  है  जो  अपनी  माँ  अलग हुआ  है | इसको देख  कर  बड़ा  गर्व  होता है कि दुधवा  में इतना सुंदर वा बलिष्ठ टाइगर भी है हांलाकि इसने ८ लोगो को गलती  से  मारा  है,  लेकिन W .T .I . की टीम पिछले २ महा  से इसके पीछे  लगी हुई है  न  ही इसको बेहोस कर पा रही  न ही जंगलो  में  खदेड़  पा रही  है । जबकि टाइगर  ओर  W .T .I . की टीम का कई बार अमना सामना हुआ  है  फिर  भी W .T .I . की टीम हर  बार
   असफ़ल ही रही  वो टीम तो अपनी फोटो खिचवाने  में ही लगी हुई है  | W .T .I . की टीम की असफलता को देख कर ग्रामीणों  में आक्रोश बढता जा रहा है अगर इससे टाइगर  के  साथ  कोई अनहोनी घटना घाट  गई  तो इस की सारी जिमेदरी W .T .I . की टीम की होगी ।
  टाइगर  के  साथ  कोई अनहोनी घटना घटी तो दुधवा को बहुत बड़ा नुकसान होगा | अगर वन विभाग इस टाइगर बचाना है तो वो अपने एक्सपर्टो को बुला कर टाइगर बेहोस करे या  जंगलो  में  खदेड़ कर  इस की जान बचाई जा सके | इस टाइगर के सुधरने  के संकेत  भी साफ दिखाई दे रहे है, क्योकि लगातार पिछले कुछ  दिनों जंगली सुअरों या और जानवरों  का शिकार भी कर रहा है


मनोज शर्मा ( लेखक की वन्य जीवन पर आधारित खबरों में विशेष अभिरूचि, कई टी वी चैनल्स में कार्यानुभव, मौजूदा समय में लाइव इडिया न्यूज के लखीमपुर खीरी में संवाददाता हैं, जंगलों से घिरे मैलानी कस्बे में निवास। इनसे manojliveindia@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।)

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