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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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Mar 7, 2010

दो कवितायें- विश्व गौरैया दिवस २० मार्च के उपलक्ष्य में

फ़ोटो साभार: सतपाल सिंह
माँ चाहती है
   रामेन्द्र जनवार

माँ चाहती है
यूं ही बना रहे
गोबर लिपा आँगन
लगा रहे आंगन में
तुलसी का बिरवा

माँ चाहती है
मुंडेर पर जब-तब
आता रहे कागा
बना रहे घर में
अपनों का आना-जाना

माँ चाहती है
आंगन के छप्पर से
चुन-चुन कर तिनके
नन्ही गौरैया बेखौफ़
बनाती रहे घोंसला अपना

माँ यही चाहती है 
कि बची रहें संवेदनायें
कायम रहे सरोकार
बनी रहे दुनिया सारी

माँ चाहती है
कि हर घर के आंगन में
चहकती हुई, फ़ुदकती हुई
बाँटती रहे खुशियां यूं ही
मासूम नन्ही गौरैया

------------x------------

गौरैया बहुत परेशान

सूखे-सूखे ताल-पोखर
सूने खलिहान
बीघा भर धरती में
मुठ्ठी भर धान
चुग्गा-चाई का कहीं
ठौर ना ठिकान
गौरैया बहुत परेशान

कौन जाने कहाँ गए
मेघों के साए
तपती दुपहरिया
पंखों को झुलसाए
भारी मुश्किल में है
नन्ही सी जान
गौरैया बहुत परेशान

घनी-घनी शाखों पर 
बाज़ों का डेरा
कहां बनाए जाकर
अपना बसेरा
मंजिल अनजानी है
रस्ते वीरान
गौरैया बहुत परेशान
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- रामेन्द्र जनवार (लेखक: मीडिया प्रभारी श्री जितिन प्रसाद, केन्द्रीय राज्यमंत्री, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस,  सन १९८५-८६ में लखनऊ विश्व-विद्यालय के महामंत्री रह चुके है,  सन १९८५ में ही मास्को रूस में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय युवा महोत्सव  में भागीदारी, आंदोलनी विचारधारा से हैं, खीरी जनपद के ओयल कस्बे में रहते हैं। इनसे ramendra.janwar78@rediffmail.com व 09838980878 पर संपर्क कर सकते हैं।)

10 comments:

  1. "किसी ने कहा था कि इस दुनिया में केवल 3 चीज़ें दिलचस्प हैं बच्चे,साधु और चिड़िया। बहुत सुन्दर कविताएँ.........."
    प्रणव सक्सैना
    amitraghat.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. गौरैया बहुत परेशान- रामेन्द्र जनवार,मीडिया प्रभारी श्री जितिन प्रसाद, केन्द्रीय राज्यमंत्री, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस.nice

    ReplyDelete
  3. सुबह सुबह आँखें नम कर गईं ये कविताएँ।
    हमारी सम्वेदनाएँ सरल जीवन का आश्रय ले कर ही क्यों उमगती हैं ?

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  4. thanks for sharing this beautiful words!

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  5. wah comrade...apne to hamko 20 sal pahle pahucha diya

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  6. gajiyabad me navodaya vidhalaya ke pass ek kasba hai DHOOMMANIKPUR janha lagbhag 1000 GAURAIYA RAHTI HAI. PL DO SOMETHING. OM PRAKASH SINGH FAIZABAD

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  7. hamne apne ghar me pal rakhe hai gauraiya kya aap bhi aisa karenge. yakeen maniye aap ko sukun milega

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  8. saral & sunder shabdon me piroryee dono kavitaon k liye...
    prakrati prem bemisal.......
    bahut-2 subhkamnayen

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  9. mere man ko jaisey kisi ne bahut dinoo baad dhakka diya ho.sandar prastuti mein ish kavita ka apna dard chipa hai jo rah rah kar udney ko kah rah ahi .....

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