वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

May 23, 2022

अमलतास के फूल जहां पीताम्बरी आभा लिए मानों साक्षात कृष्ण मौजूद हों




 अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर अमलतास का वृक्ष !

भारतीय उपमहाद्वीप में अप्रैल से लेकर मई-जून तक की झुलसा देने वाली गर्मी से त्रस्त यहां के लोग इस प्राकृतिक आपदा से मुक्ति और राहत के लिए प्राचीन काल से ही सड़कों पर जगह-जगह घने छायादार वृक्षों,मिट्टी के घड़ों में भरे शीतल,स्निग्ध पेयजल,अमिया द्वारा बनाए गए पन्ने,जौ और चने के सत्तू ,तरह-तरह के फलों से बने शरबत,छाछ,दही,लस्सी आदि प्रकृतिप्रदत्त उपलब्ध साधनों से कुछ चैन-सुकून पाने का यथासंभव प्रयास करते रहते रहे हैं,गर्मी में प्रकृति द्वारा भीषण गर्मी से मानव और अन्य पशु-पक्षियों के अमूल्य जीवन के बचाव के लिए तमाम तरह के रसीले फलों यथा चेरी,सालसा,ककड़ी,खीरा, तरबूज और खरबूज आदि भरपूर मात्रा में उपलब्ध कराए गए हैं !_*      

             _चारों तरफ भीषण गर्मी की मृगतृष्णा से मानव सहित इस जैवमंडल के सभी जीवों की आंखों की तृप्ति और सुकून के लिए उसके चारों तरफ अमलतास सरीखे कोमल पीले पुष्प वाले पेड़ों का अविष्कार किया है ताकि गर्मी की मृगतृष्णा से त्रस्त हुए ये सभी उक्त वर्णित सभी जीव उन पीत पुष्पों की स्निग्ध कोमलता की शीतलता से अपने मनमस्तिष्क को कुछ क्षणों के लिए ही सही शीतलता का अहसास कर सकें !_

            *_इस बहुऔषधीय पेड़ अमलतास को आयुर्वेद में स्वर्ण वृक्ष,संस्कृत में व्याधिघात, नृप्रद्रुम,आरग्वध,मराठी भाषा में बहावा,कर्णिकार गुजराती में गरमाष्ठो,बँगला में सोनालू ,अंग्रेजी भाषा में इसे गोल्डन शॉवर ट्री,लैटिन भाषा में इसे कैसिया फ़िस्चुला कहते हैं। 'अमलतास 'शब्द संस्कृत में अम्ल मतलब खट्टा से निकला है। अमलतास के फूल  अप्रैल, मई और जून माह में खिलते हैं,जो आंखों को सरसों के फूल सदृश्य कोमल पीत पुष्प के रंग के झालरदार ढंग से, अत्यंत कलात्मक तरीके से अपने पेड़ों पर लटके हुए होते हैं। कोई-कोई अमलतास का पेड़ तो बिल्कुल पत्तीविहीन होकर पूरा पेड़ पीत पुष्पों से आच्छादित होकर अद्भुत अद्वितीय अतुलनीय और अवर्णनातीत सौंदर्य प्रस्तुत करता है !_*

          _यह पुष्पीय पौधा केवल आंखों को ही शीतलता नहीं प्रदान करता,अपितु इसका हर भाग मसलन तना,पत्ता,पुष्प और फल आदि सभी कुछ औषधीय गुणों से युक्त होता है ! इसमें फूल खिलने के सिर्फ 45दिन के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में घनघोर बारिश होती है। इस कारण इसे गोल्डन शॉवर ट्री,और इंडियन रेन इंडिकेटर ट्री भी कहा जाता हैं। शीतकाल में इसमें लगने वाली लगभग एक-डेढ़ फुट की काली या भूरी, बेलनाकार फलियाँ लटकी रहतीं है। इन फलियों के अंदर कई कक्ष होते हैं जिनमें काला,लसदार, पदार्थ भरा रहता है। उसी के बीच इनके छोटे-छोटे बीज होते हैं,यह काला, रसदार पदार्थ भी स्त्रियों के लिए प्रसवोपरांत बहुत ही लाभदायक पोषक तत्व से भरपूर होता है ! वृक्ष की शाखाओं को छीलने से उनमें से भी लाल रस निकलता है जो जमकर गोंद के समान हो जाता है। फलियों से मधुर,गंधयुक्त,पीले रंग का उड़नशील औषधीय गुणों से भरपूर तेल मिलता है !_

             _आयुर्वेद में इस वृक्ष के सभी भाग भारतीय औषधीय पौधा सहजन के समकक्ष औषधि के काम में आते हैं। इसके पत्ते अमरूद और पपीते की तरह रेचक का काम करते हैं,इसके फूल कफ और पित्त को नष्ट करते हैं। फली और उसमें स्थित उसका गूदा पित्तनिवारक, कफनाशक,वातनाशक तथा आमाशय में मृदु प्रभावकारक हैं,इसलिए यह दुर्बल मनुष्यों तथा गर्भवती स्त्रियों को भी विरेचक औषधि के रूप में लाभदायक है ! यह एक पेड़ है जिसकी पत्तियां, फूल,फल,तना और जड़ अपने आप में महत्वपूर्ण औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। बुखार के लिए यह उपयोगी है तो छाल की सहायता से मधुमेह जैसी आम बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है ! इसकी छाल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के भी गुणों की जानकारी मिली है। फोड़ा, फुंसी, खाज और खुजली के लिए तो आयुर्वेद में इसे रामबाण औषधि माना गया है। पत्तियों के नियमित सेवन से गैस,कब्ज और गठिया जैसी बीमारी भी दूर की जा सकतीं हैं !_

          *_आयुर्वेद में इसे "सर्वरोग प्रशमणि " के रूप में पहचाना गया है,जिसका अर्थ है कि यह सभी प्रकार के रोग ठीक करता है और शरीर को माइक्रोबियल संक्रमण से बचाता है। इसमें रेचक, कार्मिनेटिव एंटी-प्रुरिटिक और एंटी इन्फ्लेमेटरी या Carminative Anti-pruritic and Anti-Inflammatory जैसे गुण होते हैं !अमलतास इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी काफी अच्छी भूमिका निभाता है,अमलतास की छाल एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर या Rich in anti-oxidant properties होती है ! इसके सेवन से इम्यून सिस्टम बेहतर होता है जिससे इम्यूनिटी स्ट्रांग बनती है और सीजनल बीमारियों का खतरा कम होता है ! इसके फूल त्वचा को कोमल और कमनीय बनाते हैं ! इनके फूलों को पीसकर इसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से उस पर मौजूद दाग-धब्बे और टैनिंग दूर होती है !_*

            _इसकी पत्तियों का नियमित सेवन करने से जोड़ों में दर्द में गठिया आदि की समस्या भी कम होती है । डायबिटीज को कंट्रोल करने में अमलतास की छाल काफी सहायक है,इसके लिए अमलतास के पेड़ की छाल का अर्क बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं,ये अर्क इंसुलिन को कंट्रोल करता है जिससे शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है !आर्युवेद के अनुसार अमलतास की मदद से त्‍वचा के रोग,द‍िल से जुड़ी बीमारियों,टीबी आद‍ि रोग दूर कर सकते हैं। बवासीर की समस्‍या से निजात पाने के लि‍ए भी अमलतास का इस्‍तेमाल किया जाता है !_

            *_रूमेटाइड अर्थराइट‍िस यानी जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न की समस्‍या में अमलतास का सेवन बहुत ही लाभदायक रहता है। इसके लिए 1 से 2 चम्‍मच अमलतास के फल का पल्‍प लेंं और उसे दो कप उबलते पानी में डाल दें,जब पानी आधा रह जाए तो काढ़ा बन जाएगा। भोजन करने के पश्चात इसे 1चम्‍मच लेना होता है। अमलतास के इस्‍तेमाल से रूमेटाइड की समस्‍या में बहुत शीघ्रता से आराम म‍िलता है।_*

          _आजकल बाजार में आयुर्वेदिक दुकानों पर अमलतास की कैप्‍सूल भी म‍िलती है लेकिन अमलतास के ज्यादा इस्‍तेमाल करने से खांसी या सर्दी हो सकती है क्‍योंक‍ि इसकी तासीर काफी ठंडी होती है इसलिए संतुलित मात्रा में ही इसका प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है !_ 

 

  *_केरल का राजकीय वृक्ष_* 

                 

          _अमलतास में औषधीय गुणों के खुलासे के बाद केरल राज्य ने इसे अपने राज्य के राजकीय वृक्ष के रूप में सम्मिलित किया हुआ है। यही वजह है कि भारत के अन्य सभी राज्यों से केरल में ही अमलतास के पेड़ों की संख्या सर्वाधिक है। वहां अमलतास के पेड़ों के लैंडस्केप एक बहुत बड़े हिस्से भी नजर आने लगे हैं और वहां पौधरोपण में भी इसे सबसे ज्यादा वरीयता और स्वीकार्यता मिल रही है !_

            *_लेकिन आजकल के आधुनिक युग में मानव कृत प्रदूषण से यथा करोड़ों की संख्या में वातानूकुलित यंत्रों तथा कार सरीखे वाहनों से निकलने वाली अत्यंत जहरीली और गर्म गैसों के प्रभाव से इस धरती पर हर साल आनेवाली ग्रीष्म ऋतु अब इस धरती के समस्त जैवमण्डल के लिए ही अब बहुत खूंख्वार और भयावहतम् हो चली है ! उदाहरणार्थ जहां कुछ वर्षों पूर्व तक दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में गर्मियों में जहां अधिकतम् तापमान 44से 45डिग्री सेल्सियस तक ही पहुंच पाता था,वहां इस वर्ष 2022में इन स्थानों का तापमान 47से 49डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है ! इस भीषण त्रासद समय में प्रकृतिप्रदत्त तमाम तरह के रसीले फलों यथा चेरी,फालसा,ककड़ी,खीरा,तरबूज और खरबूज आदि के भरपूर मात्रा में उपलब्धता के लिए उनके उत्पाद के लिए गहन कृषि किए जाने तथा अमलतास सरीखे शीतलता प्रदान करने वाले वृक्षों को वृक्षारोपण में वरीयता प्रदान करने की अत्यंत आवश्यकता हो गई है !_*   


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निर्मल कुमार शर्मा 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के सुप्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक,सामाजिक, राजनैतिक,पर्यावरण आदि विषयों पर स्वतंत्र,निष्पक्ष,बेखौफ,आमजनहितैषी,न्यायोचित व समसामयिक लेखन,संपर्क-9910629632, ईमेल - nirmalkumarsharma3@gmail.com_

 


1 comment:

  1. अमलतास के विषय में बहुत अच्छी जानकारी मिली ।।

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