वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

May 13, 2020

राम यादव जी की पाती दुधवा लाइव के लिए....मुआमला कोरोना और मानवता का ही है



आदरणीय,

आने वाला समय बहुत विकट है, आप लोग दूरदर्शिता का परिचय दें और मानवता को बचाने का पुनीत कर्तव्य करें।
कोरोना संकट इतना आसान नही है, और न ही जल्दी समाप्त होने वाला है। सब कुछ बन्द करना भी इसका उपाय नही है।
सम्पूर्ण विश्व इसके भयावह पहलू से जल्दी ही सामना करने वाला है और संभवतः अधिसंख्य आबादी काल कवलित होने वाली है।
इससे बचाव के लिए कुछ चंद उपाय समय रहते कर लिए गए तो बेहतर होगा अन्यथा वो भी निष्प्रभावी हो जाएगें।
1. गंगा नदी के सर्वशुद्ध प्रवाह को निर्बाध छोड़ दिया जाए।
2. नदियों के किनारे, सरकारी खाली पड़ी भूमियों पर एक आंदोलन के रूप में सब्जियाँ, तुलसी के पौधे, बरगद, पीपल आदि के पौधों अथवा बीजों का राष्ट्रीय स्तर पर छिड़काव किया जाए।
3. मानव अपने इष्ट जनों के पास अधिक सकारत्मक जीवन जीता है। जीवन जीने के प्रति अधिक आशावान होता है जिससे उसके भीतर जीवनोपयोगी रसायनों का अधिक स्राव होता है और वो स्वयं, परिवार तथा समाज के बेहतर वातावरण प्रस्तुत करता है। इसलिए सम्पूर्ण भारत मे जो भी यदि अपने इष्ट जनों के पास जाना चाहें तो उनको उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था करवा दी जाए। ये सारा कार्य एक निश्चित समयावधि में हफ्ता अथवा पंद्रह दिनों में करा दिया जाए। उसके बाद सम्पूर्ण लॉक डाउन किया जा सकता है।
4. हवन के रूप में औषधीय जड़ी बूटियों का धुआं पर्यावरण में समाहित किया जाए। इस पर वैज्ञानिकों को कोविड19 वायरस पर पड़ने वाले प्रभाव पर अध्ययन व शोध की आवश्यकता है।

ये एक सतत दीर्घकालिक प्रक्रिया होनी चाहिए। मेरा अनुमान है कि यह निश्चित सफल होगी। हवन के धुएं में जब बड़े मक्खी, मच्छर आदि जीव भी दूर चले जाते हैं तो सूक्ष्म कीटाणु और वायरस निश्चित स्थान परिवर्तित करेंगे। और इतने समय के भीतर हमारा शरीर इसकी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेगा।


सादर धन्यवाद


गांव

ए अम्मा तनिक ठहर जा
बहुत धूप लग रही है।।।
दो दिन से कुछ खाने को दिया नही,
बस चलाये जा रही है।।।

कभी पटरी, कभी मेड़,
कभी सड़क, कभी कीचड़।।

कुछ देख भी रही है????

पैर के छाले तो देख ले
अरे मेरी ताकत नहीं बची
अब मत दौड़ा माँ।।।

बापू तो बावला हो गया है....
गांव में क्या रखा है
बिजली नहीं है,,,
कच्चा घर बदबू मारता है,,,,
छि गोबर से लीपोगी घर....?

ए अम्मा वहाँ देहाती दोस्त मिलेंगे।।।
जिनके पास जाने से मना करती थी 
याद कर वो हमारे स्टैण्डर्ड के नही थे।।
कौतूहल से हम लोगो की शक्लें देखते थे।।।।।।

उन पसीजी महक वालों के बीच कैसे रहेंगे हम लोग।।।

अम्माँ, याद कर कुछ महीनों पहले बाबा क्या बोले थे?

कुछ दिनों की ही तो बात है
घर से बाहर नही निकलेंगे तो सब ठीक हो जाएगा।।।।
मास्क लगाना था
सैनिटाइजर से हाथ धोना था
लोगों से दूर रहना था।।।
बस इतना ही तो करना था।।।
फिर क्यों चल पड़ा बाबा गांव की ओर।।।

फैक्ट्री मालिक ने तो उस महीने की तनख्वाह भी दे दी थी।।।
अब क्या हुआ,, बाबा पगला गया।।।
उसको रोक।।।
क्यों धैर्य जवाब दे गया उनका।।।

नेता, अभिनेता, बुद्धिजीवी, अमीर लोग....
सब घर के भीतर से हम लोगों को हौसला दे तो रहे हैं।
बस उन लोगो के खाने की प्लेट देख हमारी नज़रें क्यों हटवा देती हो।।।।

अम्मा क्या बापू प्रधानमंत्री से बड़ा है।।
उनको अनसुना करने की हिम्मत कैसे हो गयी????

अम्मा क्या हिन्दू मुस्लिम वाली कहानी खत्म हो गयी।।
ये लोग भी हमारे जत्थे में साथ क्यों हैं।।।।

कल सुना कुछ लोग रोटी साथ लिए ट्रेन से कट गए।।।
वो भी घर जा रहे थे क्या?
रोटी जान देती है तो क्या ले भी लेती है????????

अम्मा बता ना।।।
बापू वहाँ खेती कर पायेगा???

वहाँ कार नहीं होगी, सड़कें नही होंगी,
पार्क नहीं होंगे, मॉल नहीं होंगे,
बैंक नही होंगे, स्मार्टस्कूल नही होंगे,
मूवी कहाँ देखेंगे, ब्रांडेड कपड़े कैसे खरीदेंगे।।।
पिज़्ज़ा, चाऊमीन, मंचुरियन कहाँ से दिलाओगी?
दलिया और दूध से घिन आती है
पेट कैसे भरूँगा???

कौन सी जिजीविषा खींचे ले जा रही है
हम लोगों को गांव की तरफ??

बापू की आंखों में कौन सी चमक दिख रही है???
बिना रुपये पैसे की परवाह किये दौड़ा ही चला जा रहा है???

कैसे खुश होकर बोल रहा है...
सब्जी उगाएगा।।।

पीपल, बरगद, नीम, शीशम, अमरूद, आम, तुलसी बोयेगा।।।
गंगा किनारे झोपड़ी बनाने की बात कर रहा है।।।।।
गाय पालने चला है।।।।।
गोबर के कंडे से चूल्हा फूंकेगा।।।

कह रहा है,,,
हवन में जड़ीबूटियों का धुआं करेगा।।।

क्या अम्मा ऐसा करने से हम कोरोना से बच जाएंगे???

पुराने लोग वाइरस मारने क्यों नही गए,
वो लोग बचने की तरकीब पर क्यों अमल करते रहे।।।
फ्लू का वाइरस हम लोगो से पहले धरती पर आया,
एड्स के वायरस का इलाज मिल गया क्या?
ऋषि मुनि हमेशा शोध करते रहते थे ???
आहार विहार और विचार की शुद्धता क्या है?????

सब गांव चले जायेगें तो फैक्ट्री कौन चलायेगा???
फिर ये नेता पत्थरों के पार्क किसके लिए बनाएगें???
किसको आपस में लड़ाएंगे???
किसके लिए बिजली वाले बांध बनाएंगे???
ये स्मार्ट सिटी कहाँ होगी??
और हाँ बुलेट ट्रेन में कौन बैठेगा???

अम्मा तेरा प्रधानमंत्री राष्ट्रपति सब बापू है ना???
परिवार का छाता बना घूम रहा है।।।।।।।
तेरे चक्कर में मैं भी फंस गया।।।
तेरा दूध पिये बिना जिंदा नहीं रह सकता।।।।

ब्रह्मचारियों ने सिर्फ दिशा दी थी इतिहास को....
लेकिन सभ्यता और संस्कृति के वाहक गृहस्थ रहे हैं।।।।।।।

क्या महाभारत के बाद  फिर से शहर 
भूँख, अपराध और महामारियों से मरने जा रहे हैं???

क्या

गांव
भारत को फिर से अपनी छाँव में पालने के लिए खड़े हो रहे हैं?????????

वन क्रांति - जन क्रांति
FOREST REVOLUTION – THE LAST SOLUTION

      राम सिंह यादव 
      (भारत) 

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