चलो चले उस चिड़िया को हंसाया जाए...
सम्पादक की कलम से...
कुछ बेतरतीब शेर जो
उस चिड़िया से बावस्ता हैं, यह अलाहिदा शेर जो नज़्म न बन सके, विश्व गौरैया दिवस २०१६
के उपलक्ष्य में उस चिड़िया को समर्पित हैं जिसकी चहक मन को मोह लेती है हमेशा, चलिए
हम सब अपने घरों के आसपास हरियाली और इस चिड़िया के लिए भोजन और पानी के व्यवस्था के
प्रयत्न शुरूं करें ताकि जल्द ही रंग बिरंगी चिड़ियाँ और उनकी सुन्दर आवाज हमारी आँखों
और कानों को प्रकृति का रूहानी एहसास कराएं...कृष्ण
गौरैया तुझे जब देखता हूँ अपने आँगन में
तो उसके घर में तेरा वो नशेमन याद आता है.
*
उसने दिखाया था तेरा वो घोसला जो उसके उस मकान में था
तू मेरे घर को मुस्तकिल नशेमन बना ले तो मुझको तसल्ली हो.
*
गौरैया तुम रेत में घरौंदे क्यों बनाती हों जो बिखरते है हल्की बयार से.
चलो आओ माटी के घर अब भी तुम्हारा इंतज़ार करते है.
*
उस चिड़िया की चहचहाहट सुने हुए मुद्दतें गुज़र गई.
दूर से आती हुई उसकी सिसकियाँ मुझे अब सोने नहीं देती.
*
चलो चले उस चिड़िया को हंसाया जाए
सूने से चमन को गुलिस्तान बनाया जाए.
कृष्ण कुमार मिश्र
krishna.manhan@gmail.com


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