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Dec 12, 2015

सीतापुर में शिकारियों के जाल में फंसा तेंदुआ...


कौतूहल, और दहशत के वो आठ घंटे.............
शिकारी ने ऐसा बिछाया जाल ’तेंदुआ’ हुआ बेहाल 
जाल में फंसकर आठ घंटे तक छटपटाता रहा तेंदुआ, पैर हुआ घायल, बेहोश कर पिंजरे में ले गई लखनऊ से आई विशेषज्ञों की टीम 

पंकज सिंह गौर। सीतापुर 
बाघ और तेंदुआ के अनेकों किस्से आपने सुने और देखे होंगे, लेकिन थाना इमलिया सुल्तानपुर इलाके के कोरैय्या उदयपुर में तेंदुए की दीन हीन दशा पहली बार देखने को मिली। जिसके चलते हर कोई सिहरन लेकर उसके करीब तक पहुँच गया और बेचारा तेंदुआ उसे देखकर गुर्राने के अलावा कुछ नही कर सका, कारण गन्ने के खेत को बचाने के लिये शिकारी द्वारा जंगली सूकर के लिये लगाये गये जाल के लोहे के फन्दे में तेंदुए का एक पैर बुरी तरह फंस गया। अपने को छुड़ाने के लिये उसने हर जतन की पर उसकी एक नही चल सकी। यह खबर इलाके में जंगल में आग की तरह फैल गयी, 30 किलोमीटर की दूरी के लोग वहां जा पहुंचे। तेंदुए की एक झलक पाने के लिये लोगों में कौतूहल मच गया जिसने तेंदुए को देख लिया वह रोमांचित हो गया और दहशत में पुलिस और वन विभाग की टीम रही .



जनपद मुख्यालय से करीब 15 किमी. दूर कोरैय्या उदयपुर में सुबह तेंदुए के जाल में फंस जाने की खबर फैली। गांव के रामकुमार शुक्ला ने बताया कि उन्होंने गन्ने के खेत को जंगली सूकरों और नीलगाय से बचाने के लिये जाल लगवाया था जिसमें तेंदुआ फंस गया। गांव वालों के मुताबिक रात में लगाये गये जाल को देखने के लिये सुबह जब शिकारी खेत पर पहुंचा तो उसमें तेंदुए को फंसा देख उसका हाल बेहाल हो गया और उसने इसकी खबर गांव में दी फिर फरार हो गया। इसके बाद गांव के लोगों की भीड़ वहां पहुंचने लगी थोड़ी ही दूरी पर स्थित थाना इमलिया सुल्तानपुर के एसओ बेनीमाधव त्रिपाठी अपने दल-बल के साथ वहां पर जा पहुंचे तत्काल झरेखापुर चैकी इंचार्ज सतीश यादव, इमलिया सुल्तानपुर के एसआई शिवकुमार सिंह को भी बुला लिया और तेंदुए से कुछ दूर रहकर लोगों को वहां आने जाने से रोकते रहे।



 भीड़ बढ़ते देख एसओ ने एसपी को जानकारी देकर अन्य थानों की फोर्स मांगी। इधर डीएम डा. इन्द्रवीर सिंह यादव और एसपी कवीन्द्र प्रताप सिंह को इसकी जानकारी फोन से लोग देने का प्रयास करते रहे पर मीटिंग में व्यस्त होने के चलते किसी भी अधिकारी ने खबर लेने की जरूरत नही समझी। डीएफओ एपी त्रिपाठी को तत्काल एसओ ने सूचना दी पर उनके स्तर से भी वन विभाग के अन्य अधिकारियों को तत्काल नही भेजा जा सका। इधर तेंदुआ को देखने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही थी, जाल में फंसा तेंदुआ लोगों को अपने पास आते देख हमलावर होता जा रहा था जिसको देखकर सुरक्षा कर्मियों की हालत पतली होती जा रही थी कि कहीं अगर तेंदुआ छूट गया तो फिर मौजूद लोगों को जान बचाना मुश्किल हो जायेगा। सूचना के 7 घंटे बाद डीएफओ एपी त्रिपाठी लहरपुर के वन क्षेत्राधिकारी एसपी सिंह, सीतापुर के वनक्षेत्राधिकारी एस तोमर, वन दरोगा राजकुमार अपने दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे।


 8 घंटे बाद लखनऊ जू से विशेषज्ञों की टीम वरिष्ठ पशु चिकित्सक वन्य जन्तु डा. उत्कर्ष शुक्ला के नेतृत्व में पहुंची। जीप पर सवार रहकर ट्रेन्क्यूलाइज गन से डा. उत्कर्ष शुक्ला ने निशाना साधते हुए तेंदुए पर बेहोशी का पहला इंजेक्शन चलाया, लगने के बाद भी तेंदुआ पूरी तरह बेहोश नही हो सका। दस मिनट बाद जीप से उतरकर पास में जाकर पुनः ट्रेन्क्यूलाइज गन से बेहोशी का इंजेक्शन चलाया और फिर पांच मिनट बाद तेंदुआ बेहोश हो गया जिसे जाल में डाल कर साथ लाये पिंजड़े में रखने के बाद लखनऊ लेकर चले गये। इस बीच 8 घंटे तक तेंदुआ जाल से छूटने के लिये छटपटाता रहा।



कोरैय्या उदयपुर गांव के जिस गन्ने के खेत में जाल में तेंदुआ फंसा था उससे महज दस मीटर दूर कार में रहकर जान जोखिम में डाल तेंदुए की हर गतिविधि और फिर उसको बेहोश करने से लेकर उसे पिंजड़े में कैद करने के साथ ही तेंदुए को देखने के लिये उमड़ी भीड़ और सफल आपरेशन करने वाली लखनऊ से आई टीम की हर कार्रवाई पर वरिष्ठ पत्रकार पंकज सिंह गौर, शेर सिंह, फोटोग्राफर दुर्गेश शुक्ला, बबलू सिंह चैहान व उदय सिंह की रही नजर इस दौरान अनेकों बार हमारी टीम पर तेंदुआ ने हमलावर होने का प्रयास भी किया।


पहले होगा इलाज फिर छोड़ा जायेगा जंगल में-डा. उत्कर्ष
तेंदुए को बेहोश कर पिंजड़े में कैद करने वाले डिप्टी डायरेक्टर लखनऊ जू व वरिष्ठ पशु चिकित्सक वन्य जन्तु डा. उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि यह काफी बड़ा तेंदुआ है इसे वह ट्रेन्क्यूलाइज कर जू लखनऊ ले जा रहे हैं, जाल में फंसने से इसका पैर बुरी तरह घायल हो गया है पहले इसका इलाज होगा ठीक होने पर इसे जंगल में छोड़ा जायेगा। 15 दिन पूर्व अलादादपुर में आये तेंदुए को भी डा. शुक्ला ने ट्रेन्क्यूलाइज कर पिंजड़े में कैद किया था बाद में उसे जंगल में छोड़ दिया।


मैटिंग सीजन के चलते मैदानी भाग में आ गए बाघ और तेंदुए-डीएफओ
डीएफओ डा. एपी त्रिपाठी ने बताया कि कोरैय्या उदयपुर में लोगों द्वारा अपनी फसलों को जंगली सूकर व नीलगाय आदि से बचाने के लिये लगाये गये खेतों में जाल में तेंदुआ फंस गया था। जिससे उसका पैर जख्मी हो गया है, लखनऊ जू ले जाकर उपचार किया जायेगा। सीतापुर में बाघ और तेंदुए के आने के मामलों में बताया कि पहली वजह है कि यह इनका मैटिंग सीजन है जिससे यह डिस्टर्ब होते हैं और जंगल से भाग कर गन्ने के खेतों में शरण ले लेते हैं और दूसरा कारण है कि यह टेरेटोरियल जानवर हैं, जिसमें हर जानवर का अपना एक सुरक्षित इलाका होता है और वहां किसी भी घुसपैठिये को दूर खदेड़ दिया जाता है। इसलिये यह जानवर जंगल से बाहर चले आते हैं।
सभी फोटो-दुर्गेश शुक्ला

पंकज सिंह गौर  
वरिष्ठ पत्रकार
सीतापुर 
pankaj.singh.gaur22@gmail.com

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