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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Jan 15, 2015

प्रिया पिल्लई ने स्काईप से ब्रिटिश सांसदों को संबोधित किया



अपनी आवाज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने से महान, सिंगरौली के ग्रामीणों में खुशी की लहर
नई दिल्ली, 14 जनवरी 2015। ग्रीनपीस इंडिया की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई ने महान के लोगों की आवाज को वैश्विक मंच पर पहुंचाने की अपनी प्रतिबद्धता को दिखाते हुए आज ब्रिटिश संसद में उपस्थित सांसदों को संबोधित किया। यह उस समय हुआ है जब भारत सरकार ने दो दिन पहले ही उनके भाषण में बाधा डालने की कोशिश करते हुए उन्हें  लंदन के लिये उड़ान भरने से रोक दिया था।
अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए प्रिया  ने कहा, “मैं यहां महान के लोगों का प्रतिनिधित्व करने और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिये जारी  संघर्ष के बारे में बात करने के लिये हूं।  आज मैं आपसे बात कर रही हूं क्योंकि एस्सार एनर्जी लंदन स्थित कंपनी है। मैं विकास चाहती हूं। यह विकास सभी लोगों सहित महान के लोगों तक भी पहुंचे इसी प्रेरणा के साथ मैं हर रोज काम करती हूं। मैंआपलोगों से आग्रह करती हूं कि आपलोग  एस्सार एनर्जी पर अपने प्रभाव का  इस्तेमाल करके महान में चल रहे पर्यावरण और मानव अधिकारों के उल्लंघन को बंद करने में मदद करें क्योंकि महान केन्द्रीय भारत के बचे-खुचे महत्वपूर्ण साल जंगलों में से एक है जिसे सिर्फ 14 सालों के कोयले  भंडार के लिये खत्म किया जाना है
प्रिया को लंदन स्थित एस्सार एनर्जी और उसके महान जंगल को खत्म करने की विनाशकारी योजना केबारे में बात करने के लिये ब्रिटिश संसद के ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (एपीपीजी) द्वारा आमंत्रित किया गया था। ब्रिटिश सांसद प्रिया के लंदन न आने की वजह से निराश थे क्योंकि महान जैसे संवेदनशील मुद्दे को स्काईप कॉल से नहीं समझा जा सकता है। हालांकि वे विडियो कॉंफ्रेंसिंग के  लिये तैयार हो गए क्योंकि उन्होंने मुद्दे की अहमियत को समझते हुए  महान में लंदन स्थित एस्सार के कार्यों को जानना जरुरी समझा।
इस मुद्दे पर बोलते हुए लेबर पार्टी सांसद और  इंडो-ब्रिटिश एपीपीजी के अध्यक्ष विरेन्द्र शर्मा ने कहा, “प्रिया पिल्लई की कथित नजरबंदी चिंताजनक  बात है। लोकतंत्र में आंदोलन करने तथा सरकार पर सवाल उठाने की आजादी होनी  चाहिए। मुझे अपने भारतीय विरासत पर गर्व है। मेरा जन्म दुनिया के सबसे  बड़े लोकतंत्र में हुआ लेकिन किसी भी तरह की नाहक नजरबंदी राष्ट्र के लिये  शर्मनाक है

इस तरह के सरकारी उत्पीड़न की शिकार प्रिया अकेली नहीं है। महान के ग्रामीण जो लंदन जाने की योजना  बना रहे थे उन्हें भी स्थानीय पुलिस द्वारा पुछताछ का सामना करना पड़ा।  महान वन क्षेत्र की अनिता कुशवाहा ने कहा, “हमलोगों को बहुत गर्व है कि पहली बार हमारी समस्याओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया गया। हमलोग पूरी  दुनिया को बताना चाहते हैं कि इस कथित विकास से किसे फायदा पहुंचना है। हमारे लिये महान जंगल संरक्षक, भगवान, अन्नदाता है और हम इसे एस्सार के फायदे के लिये बर्बाद नहीं होने देंगे। अनिता उन ग्रामीणों में शामिल हैं जिन्हें लंदन जाना था।

प्रिया को देश छोड़ने से रोके जाने के तीन दिन बाद भी ग्रीनपीस अभी तक गृह मंत्रालयविदेश मंत्रालय और भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण को किये अपने शिकायत पर जवाब की प्रतिक्षा कर रहा है।
सरकार के ऑफलोडिंग को सही साबित नहीं कर पाने पर टिप्पणी करते हुए प्रिया ने कहा,  “मुझे देश से बाहर जाने से रोके जाने की घटना एक सटीक मामला है कि कैसे सारे संबंधित मंत्रालय  एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हुए इस घटना को  कानून के तहत सही साबित करने में विफल हो गए हैं। कब सरकार से कोई इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहेगा कि, 'मैंने आदेश दिया?' इस कठोर नीति के बावजूद हम भारत के लोगों और पर्यावरण की रक्षा के लिये अपने आंदोलन को जारी रखेंगे"।

अविनाश कुमार 
ग्रीनपीस 
avinash.kumar@greenpeace.org

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