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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

May 3, 2011

आखिरकार उन्हें ! प्यासे बुन्देलखण्ड की आयी याद

22 सालो बाद बुंदेलखंड की धरती पर प्रधानमंत्री की दस्तक

1-   पी0एम0 ने 19 और राहुल ने 11 मिनट दिया उद्बोधन 
2-  कांग्रेसी नेता रहे भूलभुलैया में भ्रमित, दिल्ली पास और लखनऊ दूर ये है राहुल का पैमाना
3-   सामाजिक संगठन और किसानो ने किया रैली स्थल पर सत्याग्रह उपवास
4-  पानी के लिये 200 करोड़ रू0 और झांसी में केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के लिये आयेगा विधेयक

बांदा ब्यूरो- 1.5 अरब आबादी के तीसरी दुनिया में शामिल भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रहरी और संप्रग गठबंधन के प्रतिनिधि माननीय डा0 मनमोहन सिंह बुंदेलखंड की सरजमी पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी , विश्वनाथ प्रताप सिंह के बाद 22 सालो की लम्बी अन्तरयात्रा को पार करते हुये जनपद बांदा में दस्तक देने के मुकम्मल हिसाब से बीते 30 अप्रैल 2011 को केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय आला कांगे्रसी नेताओं के साथ वी0वी0आई0पी0 सुरक्षा से लैस दोपहर 3.55 पर स्थानीय राजकीय इंटर कालेज मैदान में बीमार बुंदेलखंड के लिये पैकेज और मिशन 2012 को सफल बनाने के चलते कांग्रेस के महासचिव , रैली के अकेले हीरो राहुल गांधी के साथ आये। सभा स्थल में तय शुदा कार्यक्रम के मुताबिक 14 मिनट तक अधिक समय बिताने वाले डा0 मनमोहन सिंह व राहुल गांधी से जहां हजारो की भीड़ में कांग्रेस के सदर विधायक कुंवर विवेक सिह ने गेंहू की सूखी बालियो से बुंदेलखंड के हालात बताने का प्रयास किया वही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा रीता बहुगुणा जोशी ने वर्तमान बसपा सरकार को चैतरफा भ्रष्टाचार, बलात्कार और मनरेगा योजना में हीला हवाली करने के लिये आड़े हाथो लिया। रैली के हीरो और तरकस में अकेले तीर राहुल गांधी ने जहां हजारो की भीड़ के सामने बुंदेलखंड के दर्द को बताने का भावात्मक प्रयास किया वही कांग्रेसी नेता सदर विधायक विवेक सिंह के साथ राहुल गांधी भी बुंदेलखंड की भूल भुलैया में डूबे रहे।

    काबिले गौर है कि भावी प्रधान मंत्री और युवाओं के युवा सम्राट राहुल गांधी बातो ही बातो मे दिल्ली को पास और लखनऊ को दूर कह गये। उन्होने 11 मिनट के भाषण में कहा कि बांदा से दिल्ली 200 किमी0 दूर है और लखनऊ 465 कि0मी0। बुंदेलखंड का दर्द दिल्ली तो पहुच जाता है लखनऊ की सडको पर सुनायी नही देता। वहीं पी0एम0 ने 19 मिनट के अपने उद्बोधन में जहां बुंदेलखंड में 200 करोड़ रू0 अतिरिक्त पानी के लिये दिये वही ंझांसी में केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, बुंदेलखंड के जनपदो में केन्द्रीय विद्यालय खोलने के साथ सलाहकार समिति की गठन की बात कही जिसमें बुंदेलखंड के सभी सांसद सदस्य होगे। उन्होने कहा कि किसानो के लिये पशुपालन और डेयरी कार्यो में विस्तार किया  जायेगा । कुंवर विवेक सिंह ने 30 अप्रैल की तारीख को 22 में बदलते हुये कहा कि आज की रैली कांग्रेस का बुंदेलखंड मे मिशन 2012 के लिये आगाज करेगी।
    सभा स्थल से 200 मी0 की दूरी पर बुदेलखंड की सामाजिक संगठन , किसान प्रतिनिधियों ने एक दिवसीय सत्याग्रह उपवास को आयोजित करते हुये सामाजिक संगठन प्रवास सोसायटी, राष्ट्रीय युवा संगठन छतरपुर , बुंदेलखंड रिसोर्स स्टडी सेंटर छतरपुर, विकास पथ सेवा संस्थान चित्रकूट, कृषि एवं पर्यावरण विकास संस्थान अतर्रा , पर्यावरण प्रदूषण संस्थान महोबा, सेन्ड्रप नई दिल्ली , किसान यूनियन के महिला सदस्यों के साथ सत्याग्रह उपवास पर अपनी चार बुनियादी मांगे ज्ञापन के तहत केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप जैन आदित्य को सौपते हुये बताया कि -



1.    केन्द्र बेतवा नदी गठजोड पर विराम लगाया जायें।
 
2    अर्जुन सहायक बांध परियोजना से विस्थापित किसानों को सात लाख रू0 मुवावजा, पुर्नवास की व्यवस्था की जाये।
 
3    बुंदेलखंड में खनन व्यापार को पूर्णतः बंद किया जायें (प्रकरण इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित)
 
4    स्थायी रोजगार के समाधान जैसे बांदा कताई मिल, बरगढ ग्लास फैक्ट्री, सजर उद्योग बांदा, बुनकर उद्योग, महोबा छतरपुर पान उद्योग, को पुनः बसाया जाये। 

केन्दीय ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने जहां प्रकरण को प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाने की बात कही वही सोसायटी के आशीष सागर की एस0पी0जी0, डी0आई0जी0 बांदा, आई0बी0 बांदा से कई मर्तबा तीखी झड़प सत्याग्रह को खत्म करने के लिये हुयी लेकिन किसानो के समर्थन और बिन पानी बुंदेलखंड में सदर विधायक द्वारा प्रधानमंत्री से किसी भी कीमत पर पानी दिलाने की मांग करने के साथ सत्याग्रह उपवास को परोक्ष रूप से केन्द्र शाषित सरकार का समर्थन मिल गया । किसानो ने कहा कि माना कि आंधीयां हमारे बस में नही मगर एक चिराग जलाना तो इख्तियार में है।

आशीष सागर, प्रवास


                                    समस्त सामाजिक संगठन एवं किसान
 1. प्रवास सोसायटी बांदा
2. कृषि एवं पर्यावरण विकास संस्थान अतर्रा
3. राष्ट्रीय युवा संगठन छतरपुर
4. विकास पथ सेवा संस्थान चित्रकूट
5. बुंदेलखंड रिसोर्स स्टडी सेंटर छतरपुर
6. सैन्ड्रप नई दिल्ली

सेवा में,
    प्रधानमंत्री महोदय
    दिल्ली

विषय: जनपद महोबा उ0प्र0 में अर्जुन सहायक परियोजना जो लहचुरा बांध से अर्जुन बांध, अर्जुन बांध से चंन्द्रावल बांध, चन्द्रावल बांध से कबरई बांध तक में अधिग्रहण की गयी भूमि तथा कबरई बांध की ऊचाई से दूर क्षेत्र में आने वाले सभी ग्रामों के किसानो की अधिग्रहण की गयी भूमि के सम्बंध में
 
महोदय,

    निवेदन करना है कि प्रार्थी गण ग्राम बाघौल परगना व तहसील कुलपहाड़ जिला महोबा के मूल निवासी किसान है। हमारे ग्राम बाघौल से अर्जुन सहायक परियोजना द्वारा नहर निकाली जा रही है।जिसके द्वारा हमारे ग्राम के किसानो की जमीन जबरदस्ती से अधिग्रहण की गयी है और डरा व धमका कर के जबरदस्ती से किसानो से बैनामा करवाये गये है। जिस किसान ने बैनामा नही किया है। उस किसान की खड़ी फसल जबरदस्ती से उखाड़ दी गयी है। किसान अपनी फसल के बारे में निवदेन करता रहा परंतु सिचाई विभाग के कर्मचारी नही माने और जेल भेजने की धमकी देते रहे। हम किसानो को दो लाख बीस हजार रू0 प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुवावजा दिया जा रहा है जब कि हमारे यहां पांच लाख रू0 प्रति हेक्टेयर जमीन बिक रही है। जब कि भारत सरकार ने उ0प्र0 के अन्य जिलो के किसानो को पन्द्रह लाख रू0 प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुवावजा दिया गया है। और हमारे महोबा जिले के किसानो को कम दिया जा रहा है। यह भारत सरकार का हमारे लिये सौतेला व्यवहार है। यह सरकार की रणनीति है। हम भी भारत मां के लाल है और हम सब ग्राम बागौल के छोटे छोटे काश्तकार है इस परियोजना के द्वारा धूमिल हो चुके है हमारे पास खेती के अलावा कोई धंधा नही है इसलिये हम भुखमरी की कगार पर आ चुके है।

1.    यह कि किसानों की अधिग्रहीत गई भूमि का मुआवजा 7,00.000/-रू0 (सात लाख रूपये) प्रति ऐकड की दर से दिलाया जाये।

2.    यह कि जिस किसान की जमीन अधिग्रहीत की गई है उस किसान परिवार के एक सदस्य को शिक्षा के आधार पर नौकरी दी जाये।

3.    यह कि जिस किसान की भूमि अधिग्रहीत की गई है उसके परिवार को 30,000/-रू0 (तीस हजार रू0) प्रति ऐकड की दर से 40 साल तक प्रतिवर्ष लगातार सहयोग राशि के रूप में अदा की जाये व 5 प्रतिश प्रति वर्ष की दर से उसमें बढ़ोत्तरी की जाये, ताकि उसके परिवार का भरण-पोषण हो सके।

4.    यह कि भूमि अधिग्रहीत किये गये किसान परिवार को शहर के विकसित भूखण्ड में 2,000 वर्गफीट का भूखण्ड स्थाई सम्पत्ति के रूप में दिया जाये।

5.    यह कि गांव उजड़ जाने पर आवादी वसानें हेतु भारत सरकार की पुर्नवास नीति 2007 में संशोधन करके आज की मंहगाई के हिसाब से मूल्य निर्धारित किया जाय।

6.     यह कि कूप तथा कूप बोर में आई लागत का निर्धारण आज की मंहगाई के अनुसार किया जाये।

7.    यह कि सन् 1894 में वनें पुराने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन किया जाये।

8.    ग्राम झिर सहेवा को गंज धरौना गुगौरा की तरह श्रेणी क में दर्ज किया जाय।

9.    30 सितम्बर सन् 2010 को उ0प्र0 सरकार घोषित नई पुनर्वास नीति को तुरन्तु लागू किया जाय। नई की तहत प्रभावित भूमि अधिग्रहण के मामले में परियोजना से प्रभावित परिवारों को पुनः संशोधन एवं पुनर्वास के सम्बन्ध में है।

10.    यह कि विभाग के कर्मचारियों ने अपने दलालों, गुण्डों, दंबग ठेकेदारों से डराकर जिन किसानों से सहमति पर हस्ताक्षर व बैनामा रजिस्ट्री करा लिये है, उन किसानों को भी उपरोक्त लिखित सभी सुविधायें प्रदान करायी जांय।

दुधवा लाइव डेस्क

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