वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

Breaking

बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Jul 2, 2010

चलो कहीं जंगल में यारों, आओ अपनी कुटी बनायें!

चलो कहीं जंगल में यारों, आओ अपनी कुटी बनायें 

सुरेश चंद शर्मा* 

चलो कहीं जंगल में यारों, आओ अपनी कुटी बनायें
 नष्ट हो गया अबतक जीवन, बचे-खुचे को सही बनायें।
चलो कहीं जंगल में यारों, आओ अपनी कुटी बनाये।
बहुत हो गई आपा-धापी, दौड़-धूप व धक्कम-धक्का ।
सीना-जोरी, लूट-मार व बेमतलब की भग्गम-भग्गा ।
'गर आजादी इन से चाहो, इन से अपना पिंड छुडाएं ।
चलो कहीं जंगल में यारों, आओ अपनी कुटी बनायें ॥

पढ़े अगर अख़बार तो उसमें भरा हुआ है खून खराबा ।
और अगर सड़को पर जायें वहां से उड़ता शोर शराबा। 
बट पीपल शीशम के नीचे चिडियों का कलरव सुन आयें ।
चलो कहीं जंगल में यारों आओ अपनी कुटी बनायें ॥

हवा प्रदूषित पानी दूषित खाना दूषित पीना दूषित ।
रहन सहन की शैली दूषित, रिश्ते दूषित, बातें दूषित॥ 
पत्तों की थाली पर रखकर कंदमूल से भूख मिटायें ।
चलो कहीं जंगल में यारों आओ अपनी कुटी बनायें ॥

आंखों में पैसों का थैला, मन-बुद्धि में लालच मैला।
घर घर में विघटन है फैला, अंहकार का नाग विषैला। 
वन देवी के चरण छूकर मन-बुद्धि को साफ बनायें ।
चलों कहीं जंगल में यारों आओ अपनी कुटी बनायें ॥

चातक, पीलक, कोयल, फुदकी, दरजिन, तोते, हरियल, चुटकी, 
मोर, पपीहे, हुदहुद; जल में - मुर्गाबी, बत्तख की दुबकी ।
घास-फूस का बना बिछौना, वहीँ झील के पास बिछाएं ।
चलो कहीं जंगल में यारों आओ अपनी कुटी बनायें ॥



सुरेश चंद शर्मा (लेखक  पक्षीविद व वन्य जीवन के जानकार हैं, पंजाब यूनीवर्सिटी से ग्रेजुएट है, करीब 40 वर्षों से पक्षियों के अध्ययन व सरंक्षण में रत, बर्ड वाचिंग व वाइल्डलाइफ़ फ़ोटोग्राफ़ी  में विशेषज्ञता, भारत  गणराज्य की केन्द्र सरकार में कार्यरत हैं। इनसे sureshcsharma@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं) 

5 comments:

  1. very very very nice...(i think those are Bard headed geese....)

    ReplyDelete
  2. very nice i had this thought my self more then once

    ReplyDelete
  3. .. चलो कहीं जंगल में यारों आओ अपनी कुटी बनायें.
    बहुत खूब काश ऐसा हो पाता. सभी ऐसा कर पाते.

    ReplyDelete
  4. राघवेन्द्रJuly 3, 2010 at 1:21 PM

    जंगली लोग कवितायें भी लिखते है!, और वह भी गजब की वाह.....

    ReplyDelete
  5. naveen singh rathore
    naveensenator@gmail.com
    excellent..excellent..excellent....:-)

    ReplyDelete

आप के विचार!

जर्मनी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार "द बॉब्स" से सम्मानित पत्रिका "दुधवा लाइव"

हस्तियां

पदम भूषण बिली अर्जन सिंह
दुधवा लाइव डेस्क* नव-वर्ष के पहले दिन बाघ संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महा-पुरूष पदमभूषण बिली अर्जन सिंह

एक ब्राजीलियन महिला की यादों में टाइगरमैन बिली अर्जन सिंह
टाइगरमैन पदमभूषण स्व० बिली अर्जन सिंह और मैरी मुलर की बातचीत पर आधारित इंटरव्यू:

मुद्दा

क्या खत्म हो जायेगा भारतीय बाघ
कृष्ण कुमार मिश्र* धरती पर बाघों के उत्थान व पतन की करूण कथा:

दुधवा में गैडों का जीवन नहीं रहा सुरक्षित
देवेन्द्र प्रकाश मिश्र* पूर्वजों की धरती पर से एक सदी पूर्व विलुप्त हो चुके एक सींग वाले भारतीय गैंडा

Post Top Ad

Your Ad Spot