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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Jul 11, 2010

चलो ओडिंग करे!

Dragonfly: Ruddy Marsh Skimmer(male)
Photo by© Krishna K Mishra
कृष्ण कुमार मिश्र* प्रकृति के बेहतरीन जलीय हवाई विमान: ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई!
बारिश का मौसम है, चारों तरफ़ हरियाली ही हरियाली है, झाड़ियां, जंगली घासें, और किसानों के खेत सभी हरे रंग से रंगे हुए लहलहा रहे है! यह एक खुशनुमा मौसम है, जब इस दुनियां की सबसे ज्यादा तादाद वाली प्रजातियां अपना जीवन चक्र शुरू करती है, यानी "आर्थोपोड्स" इस वर्ग में कीट-पंतगें, कई टांगों वाले जीव, जल-जमीन व आकाश सब पर जिनका राज होता है, शामिल हैं! खूबसूरत तितलियां, व बदसूरत भद्दे एंव बदबूदार कीट सब रंग व लक्षणों से परिपूर्ण ये जीव अपने में तमाम विलक्षण क्षमतायें समेटें हुए होते है, खास बात यह है कि इनकी हर बात में खासियत है, फ़िर चाहे वह इनकी कुरूपता हो या खूबसूरती, और इन सबका इनके जीवन चक्र में खासा महत्व है, ये सब चीजें इनके जीने में मददगार होती हैं।
हाँ तो हम बात कर रहे थे "ओडिंग" (Oding) की यह एक ऐसी विधा है जिसमें विशेषकर कीटों की दो प्रजातियों का अध्ययन किया जाता है। वैसे तो इस धरती की सभी प्रजातियों के बारें में अध्ययन किया जा रहा है, किन्तु पक्षीयों का अध्ययन सबसे अधिक हुआ है, शायद इसका सबसे बड़ा कारण है इनके सब जगह "मौजूदगी" घर, बाग, जंगल से लेकर खुले आसमान में प्रत्येक जगह आप को रंग बिरंगे पक्षी चहचाते व आसमान में चक्कर काटते दिख जाते है। इससे भी एक बड़ा कारण रहा इन खूबसूरत पक्षियों को पालतू बना कर घर में रखने का शौक जो आदिम दौर से चला आ रहा है!
पक्षियों और पक्षी विज्ञान का अध्ययन व इन पर कई पुस्तके लिखी गयी, और "बर्ड वाचिंग" मनुष्य के लिए एक रोमांचक खेल बन गया! और यह अध्ययन ने इन जीवों के अच्छे-बुरे हालातों का जायजा लेने में मददगार साबित हो रहा है, ताकि इस आधार पर इनके सरंक्षण में जरूरी कदम उठाये जा सकें।
बर्ड वाचिंग की तरह ही ओडिंग है, जिसमें ओडोनेटा आर्डर के जीवों का अध्ययन व अवलोकन किया जाता है।
ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई प्रकृति के बेहतरीन हेलीकाप्टर हैं, जो100 कि० मी० प्रति घंटा की रफ़्तार से उड़ सकते है, और स्थिर होकर उड़ते रहना इनकी अदभुत विशेषता है। तालाब, नदियां, नम-भूमि, जैसे जल भराव वाले स्थल पर इनकी मौजूदगी निश्चित होती है। यही इनके मुख्य हैविटेट है।
ओडोनैटा: (Odonata):
 इसके अन्तर्गत धरती के सबसे खूबसूरत व प्राचीन कीट (Insects) आते हैं, इसके अतिरिक्त अकशेरूकियों में सबसे बड़े उड़ने वाले कीट भी इसी आर्डर ओडोनैटा के तहत हैं। इस आर्डर में तीन समूह है-
एनिसोप्टेरा (ड्रैगनफ़्लाई)
ज़ाइगोप्टेरा (डैमजलफ़्लाई)
एनिसोज़ाइगोप्टेरा (इसमें सिर्फ़ दो जीवित प्रजातियां हैं, बाकी अवशेष हैं, जिनका एतिहासिक महत्व है)
ड्रैगनफ़्लाई, डैमजलफ़्लाई ओडोनैट का उपसमूह है जो अब एक समूह में परिवर्तित हो चुका है- यूनीरैमियन आर्थोपोड्स!
ओडोनैटा के अन्तर्गत आने वाले कीटों के तमाम लक्षण इन्हे अन्य समूह के कीटों से भिन्न कारते है, जैसे इनमें पाये जाने वाले छोटे एंटीना, काफ़ी बड़ी संयुक्त आंखे जो चेहरे का एक बड़ा हिस्सा घेरती है, दो जोड़ी पारदर्शी झिल्लीदार महीन शिराओं वाले पंख, लम्बा पतला उदर, जलीय लार्वा जिसमें गिल्स द्वारा श्वसन प्रक्रिया होती है, सिर में निचले हिस्से के लचीले जबड़े आदि।
ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई एक ही आर्डर ओडोनैटा के है, कई समानताओं के बावजूद इनमें अदभुत विभिन्नतायें हैं, जैसे, शारीरिक सरंचना, अण्डों के आकार में फ़र्क: ड्रैगनफ़्लाई के अण्डे गोल व साइज़ में 0.5 mm के होते हैं, जबकि डैमजलफ़्लाई के अण्डे बेलनाकार व साइज़ 1 mm का होता है। इसी तरह इन दोनों के लार्वा में भी असमानता होती है- डैमजलफ़्लाई के लार्वा का उदर लम्बा व पतला होता है, ड्रैगनफ़्लाई के लार्वा छोटे व मोटे होते है। इसे तरह दोनों प्रजातियों के लार्वा में गिल्स में भी विभेद होता है।
ड्रैगन फ़्लाई का अधिक जीवन काल लार्वा के रूप में ही गुजरता है, लार्वा की स्थित में इसमे 6 से 15 बार मोल्टिंग होती हैं, मोल्टिंग कितनी बार होगी यह भौगोलिक स्थिति पर भी निर्भर करता है! लार्वा की स्थिति 2 से 6 वर्ष तक हो सकती है। ओडोनैटा (ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई) में क्रमिक कायाकल्प होता है, अन्तिम कायापलट में यह लार्वा पंखदार पूर्ण वयस्क में परिवर्तित हो जाता है, इस कायापलट की प्रक्रिया को मेटामार्फ़ोसिस कहते हैं।
इन कीटों में सयुक्त आँखे होती हैं, जिनमें 30,000 यूनिट (लेन्स) होते हैं। जिन्हे ओमेटीडिया कहते हैं, जबकि आदमी की आँख में सिर्फ़ एक लेन्स होता है। खासबात यह कि इनके दिमाग का 80 फ़ीसदी हिस्सा दृश्यों के विश्लेषण में खपता है। इनकी बहुमुखी आँखों से कोई चीज बच नही सकती, तीक्ष्ण नज़र जो दुनिया की कोई मानवीय तकनीक विकसित नही कर पायी। इनकी विलक्षण नज़र इन्हे इनके दुश्मनों से बचाने में मददगार होती हैं। दुनिया के तमाम वैज्ञानिक संस्थान सुरक्षा हेलीकाप्टरों में इनके  जैसी उड़ने की क्षमता व टोही नज़रें विकसित करने में इन्ही जीवों से सीख रहे हैं।
इनमें एंटीना छोटे व मुँह काटने के लिए उपयुक्त होता है, जो इन्हे बेहतर शिकारी बनाता हैं।  इनकी 6 टांगे जो सिर के पास स्थित होती हैं, ये चलने के अलावा, पतली टहनियों व घास के डंठलों पर बैठने में इन्हे मदद करती हैं।
"ड्रैगनफ़्लाई"-Wandering Glider
- फोटो©सीज़र सेनगुप्त
ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई में दो-दो जोड़ी पारदर्शी पंख होते हैं, जिनमें बहुत सी पतली शिरायें मौजूद होती हैं, ड्रैगनफ़्लाई में पिछले पंख अगले पंखों से अधिक चौड़े होते हैं।  जबकि डैमजलफ़्लाई में चारों पंख समान आकार के होते हैं, यही कारण हैं कि डैमजलफ़्लाई आराम करने की स्थित में अपने पंख बंद कर लेने में सक्षम होती है, और ड्रैगनफ़्लाई के पंखों के आकार में असमानता होने के कारण वह बैठने पर भी अपने पंख समेट नही पाती है, और यही फ़र्क ओडिंग करने वालों को यह जानने में मददगार होता है, कि पंख बंद किए हुए बैठी डैमजलफ़्लाई है, और जो जिसके पंख खुले हो वह ड्रैगनफ़्लाई है। यहाँ एक गौर करने वाली बात यह है! कि ड्रैगनफ़्लाई अपने पंखों की असमानता की वजह से भले ही आराम करते वक्त पंख न समेट पाती हो, किन्तु यही असमानता उसे आसमान में तेज गति और कलाबाजियां लगाने में निपुणता देती है! और हाँ यह आसमान में उड़ते वक्त पीछे की तरफ़ भी उड़ सकती है, और स्थिर रह कर मड़रा भी सकती है। जबकि डैमजलफ़्लाई समान पंखों के कारण ड्रैगनफ़्लाई के मुकाबले तेज गति में नही उड़ पाती।
नर ड्रैगनफ़्लाई के पंख मादा से लम्बे होते हैं इनके पंखों की लंबाई 17mm से 20 cm तक हो सकती है।
ओडोनेटा प्रगैतिहासिक कीटों का वर्ग है, और दुनिया के सबसे प्राचीन कीट समूह प्रोटोडोनेटा (Protodonata) से जुड़ा हुआ है। यह ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई का पूर्वज समूह जो अब विलुप्त हो चुका है। हाल ही में जो अवशेष (फ़ासिल) पेनसेल्वीनिया में प्राप्त हुआ है, वह तकरीबन 325 मिलियन वर्ष पुराना है। यह कार्बोनीफ़ेरस युग का है। इस युग के ड्रैगनफ़्लाई में विशाल पंख व कांटेदार टांगे हुआ करती थी जो शिकार को पकड़ कर उड़ने में इन्हे सक्षम बनाती थी। इनके पंखों की लंबाई 70 इंच तक होती थी। करोड़ों वर्ष पूर्व जब यह विलुप्त हो रहे थे तब धरती पर डायनासोर्स का प्रादुर्भाव हो रहा था! यह Triassic Era था।
ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई मुख्यत: दीमक, चीटिंयों, मच्छरों, मेफ़्लाई तितलियों आदि को अपना आहार बनाती हैं,  प्रजनन काल में ये अत्यधिक शिकार करते है, और भोजन की अनुपब्लब्धता में यह प्रजनन को नियंत्रित कर लेते हैं। ड्रैगनफ़्लाई सर्दियों में शिकार नही करती जबकि डैमजलफ़्लाई की शिकार करने की प्रवृत्ति  पर तापमान का कोई प्रभाव नही पड़ता। नर इलाके बनाते है, और घंटों शिकार की खोज में आसमान में चक्कर काटते रहते हैं।
ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई का शिकार पक्षी, छिपकली, मकड़े, व मेढ़क करते है, इनसे बचाव के लिए ये हेलीकाप्टर नुमा जीव आसमान में स्थिर रह कर मड़राने की क्षमता इसे सुरक्षा प्रदान करती है।


ड्रैगनफ़्लाई मैथुन हवा में करते है, नर हवा में ही मादा संपर्क करता है, और हवा में उड़ते हुए मैथुन क्रिया संपन्न होती है। इस पक्रिया में कुछ सेकंड से लेकर एक मिनट तक का समय लग सकता है। जबकि डैमजलफ़्लाई बैठी अवस्था में मैथुन करती है, हवा में ये तभी होते है, जब मैथुन करते हुए, नर-मादा एक जगह से दूसरी जगह पर जा बैठते है, इनका मैथु्न का समय ड्रैगनफ़्लाई से अपेक्षाकृत अधिक होता है, तकरीबन 5 से 10 मिनट तक। अन्य जीव प्रजातियों की तरह मैथुन के लिए नरों के बीच संघर्ष इनमें भी होता है, लेकिन ओडोनैटा वर्ग के कुछ प्रजातियों में नर के उदर के अन्त में स्कूप (Scoop) नुमा संरचना होती है, जो मादा के भीतर से दूसरे नर के स्पर्म को निकालने में मदद करती है, ताकि वह नर अपने स्पर्मों से अपनी संतति को जन्म दे सके। प्रकृति ने इनमें यह विशेष गुण दिया है!
Pygmy blue dartlet(Enellagma parvum) photo©Satpal Singh


ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई केवल खूबसूरत जीव ही नही है बल्कि ये प्रकृति में जैव-नियंत्रक का भी काम करते है, खासतौर से मच्छरों के लार्वा को भोजन के रूप में ग्रहण कर। साथ ही कृषि भूमि में इनकी मौजूदगी से तमाम तरह के हानिकारक कीटों पर नियंत्रण बना रहता है। धान की फ़सल में लगने वाले नुकसानदायक कीटों को यह ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई अपना शिकार बनाते हैं।


ड्रैगनफ़्लाई ऑफ़ इंडिया- ए फ़ील्ड गाइड बॉय के० ए० सुब्रामनियन,( Dragonflies of India-A Field Guide by K A Subramanian) भारत में यह पहली पुस्तक है जो पूरे उपमाहद्वीप की ज्ञात 536 प्रजातियों में से 111 ओडोनैट्स की प्रजातियों व उप-जातियों का तस्वीरों व कॉमन अंग्रेजी नामों सहित विस्तृत वर्णन के साथ प्रकाशित हुई है। ओडिंग करने वालों के लिए यह एक बेहतरीन फ़ील्ड गाइड का काम करेगी। 
सन 1933-1936 में ब्रिटिश इंडिया फ़्रेजर(Fraser) ने ओडोनैट्स की प्रजातियों व उप-प्रजातियों का अध्ययन कर एक पुस्तक लिखी- "द फ़ना ऑफ़ ब्रिटिश इंडिया- ओडोनैटा"( The fauna of British India -Odonata) यह जन्तु वैज्ञानिकों व प्रकृति प्रेमियों के लिए एक कालजयी रचना है। लेकिन ड्रैगनफ़्लाई व डैमजलफ़्लाई को पहचानने व उनके बारे में विस्तृत जानकारी के साथ "ड्रैगनफ़्लाई ऑफ़ इंडिया- ए फ़ील्ड गाइड" भारत के प्रकृति प्रेमियों के लिए पहली पुस्तक है, जो इन्हे इन रंग-बिरंगे नन्हे हवाई कलाबाज़ों के बारे में जानकारी देगी।
तो अब चलिए ओडिंग करने चलें! देर किस बात की है, किसी तालाब, नदी या नम भूमि के आसपास ये सुन्दर जीव हवा में करतब दिखाते मिल जायेंगे, इनकी तस्वीरें खींचिए, पहचानने की कोशिश करिए पता नही कब आप की किस्मत में कोई नई प्रजाति खोजने का अवसर हो! 
यदि आप किसी सुन्दर ड्रैगनफ़्लाई (Dragonfly) या डैमजलफ़्लाई(Damselfly) की तस्वीर उतारते है और उसे पहचानने में दिक्कत हो रही है, तो इसे दुधवा लाइव को भेजिए, हम आप की तस्वीर को पहचान कर उसका विवरण आप के नाम के साथ प्रकाशित करेंगे। क्योंकि इनके अध्ययन से इनके सरंक्षण में मदद मिलेगी। यदि आप किसान हैं तो अपने खेतों में जहाँ तक संभव हो जहरीले पेस्टीसाइड का इस्तेमाल न करे, नही तो आप के ये खूबसूरत मित्र जो आप के खेतों से हानिकारक कीटों का नियंत्रण करते है.... नष्ट हो जायेगें।
इन्हें छेड़ें न इनकी खूबसूरती और इनकी तेज रफ़्तार उड़ानों का आनन्द ले!

कृष्ण कुमार मिश्र
dudhwajungles@gmail.com
 
 


11 comments:

  1. आडिंग के विषय में अद्भुत जानकारी प्राप्त हुई..आभार.

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  2. now i can see the nature with 1 new aspect thanks

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  3. बहुत सुंदर जानकारी दी आपने भाईसाहब.....!! धन्यवाद !!

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  4. this is very important ..
    and its all information here !!!!!!!
    wonderful
    and pratical
    good work!!

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  5. very big artical....bahut achcha likha ja sakta tha...har cheez choti achchi lagti...kapde ho ya khaber

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  6. Nice article. It is important to highlight these lesser fauna too. A couple of errors though. The second images is of Wandering Glider (Panatala flavescens) and the thirds is of Lacewings and not Damselflies. Please correct these errors so that wrong message does not reach the reader. Best....Parag

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  7. Thanks Parag, We have fixed the errors.

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  8. महिमा शिंदेOctober 11, 2010 at 8:39 AM

    बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की पत्रिका हार्नबिल अप्रैल-जून २०१० अंक में "ओडोनैटा" पर प्रकाशिते लेख "ओल्ड इस गोल्ड" का विवरण व चित्र वाहियात हैं, दुधवा लाइव के इस लेख की अपेक्षा, आप सब उस लेख से तुलना कर सकते है, वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा अंग्रेजी भाषा में परोसा जा रहा मटीरियन कितना स्तरहीन है, इसका अन्दाजा उस लेख से लगाया जा सकता है।

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