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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Mar 16, 2010

पर वो नही आयीं!

दुधवा लाइव डेस्क*  वो रोज आती हैं, हमारे घर, आँगन उनका पसन्दीदा शैर-ए-गाह है, इधर-उधर फ़ुदकती,

कुछ चूंगती, लेकिन जब मैं कुछ खाने को देता तो फ़ुर्र हो जाती! इधर तकरीबन ८-९ वर्षों से उन्होने घोसला नही बनाया मेरे घर में, लेकिन उनकी आमद दो-चार महीने बाद हो ही जाती है। इधर उन्ही के खातिर हमारे कुछ प्रयासों ने एक अभियान की शक्ल ले ली है, उत्तर प्रदेश की तराई में, नतीजतन हमारे रिपोर्टर मित्र उनकी तस्वीर उतारने और वीडियो बनाने के लिए जब भी मेरे घर आते वो उन्हे नही मिलती। इस अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बने कांग्रेस नेता रामेन्द्र जनवार जी कहते है, कि मिश्र जी, गौरैया राजनीति नही करती इस लिए पत्रकारों से दूर रहती है।
आज सुबह हम सब निकले उन्ही की खोज में पता चला कि खीरी जिले के बरतेर गाँव में अन्ना सिंह जी के दुआरे सैकड़ों की तादाद में फ़ुदकती हैं ये, और वे उन्हे खिलाते भी है। हम वहाँ गये लेकिन वो हमे नही मिली, उनकी तमाम संगिनी थी,  जो चहक भी रही थी और नींबू, तो कभी फ़ूलों से लदे पेड़ों पर झूला झूल रही थी, पर जिस खोज में हम थे उनका कही अता-पता नही! हम उन झुरमुटो की तस्वीरे उतार लाए जिनमें तमाम प्रजातियों के पक्षी चहचहा रहे थे पर हमारे सामने नही आना चाहते थे.....शायद वे मीडिया में आकर सार्वजनिक नही करना चाहते थे  अपने आप को, या कुछ यूँ कहे कि आदमी की करतूतो से आजिज ये परिन्दे, इन्सान कि नज़दीकियों से डर रहे हों, ये सशंय लाजमी था उनका।
इसी गौरैया खोज के दौरान ओयल में स्थित भारत के प्रसिद्ध मेढ़क मन्दिर में भी जाना हुआ लेकिन वहाँ भी बुलबुल, मैना डालों पर चहल-कदमी कर रहीं थी, लेकिन वो नहीं थी वहाँ भी। इस यात्रा में ओयल के विशाल तालाबों में मौजूद ओपनबिल स्टार्क पक्षी ३५ की संख्या में मौजूद था, उसे भी कैमरे में कैद किया गया। गौरैया खोज में सभी आसमानी जीव हमारे करीब आये पर वो नही आयीं!
थक हार कर जब घर वापस आया तो पता चला, कि हमारी नामौजूदगी में वे आयीं थी। (कृष्ण कुमार मिश्र)


उत्तर प्रदेश की तराई में दुधवालाइव डॉट काम का  "मिशन गौरैया"


फ़िलहाल हम गौरैया की वापसी के जो प्रयास कर रहे हैं , उनके परिणाम उत्साह जनक हैं, खीरी जनपद के तमाम संगठनों इस मुहिम में अपनी भागीदारी सुनश्चित की है। इनमें, सृष्टि कंजर्वेशन एंड वेलफ़ेयर सोसाइटी पलिया खीरी, विश्व जीव जन्तु कल्याण बोर्ड लखीमपुर, भारतीय समता समाज लखीमपुर, रोजी-रोटी संगठन खीरी, और सौजन्या संस्था के अलावा बहुत से राजनैतिक संगठनों ने भी इस विलुप्त हो रही चिड़िया के सरंक्षण में अपना मह्त्वपूर्ण योगदान देने का इरादा बनाया हैं।
ये सभी संस्थायें २० मार्च को विभिन्न जगहों पर "विश्व गौरैया दिवस" का आयोजन करेंगी।  जिनमें उन सभी कारणों पर चर्चा होगी जो इन परिन्दों की सख्या में कमी के लिए जिम्मेदार हैं, और उन सभी कार्यों की रूप-रेखा जो साल दर साल चलाये जाने हैं, गौरैया के संवर्धन के लिए।
खीरी जनपद में  २० मार्च को "विश्व गौरैया दिवस" लखीमपुर, मितौली, बेहजम, कस्ता, पलिया और ओयल में प्रमुखता से मनाया जायेगा।
खीरी के अतिरिक्त दुधवा लाइव डाट काम जो मंच बन चुका है गौरैया बचाओ अभियान का, के प्रयासों से खीरी के इतर शाहजहाँपुर, पीलीभीत, बहराइच, लखनऊ, अम्बेडकर नगर तथा सीतापुर जनपद में मनाये जाने की तैयारियां चल रही है।

दुधवा लाइव डेस्क

2 comments:

  1. मिशन गौरैया सारहनीय कदम है. साधुवाद.

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