वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

Breaking

बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Oct 19, 2018

झुंड से रास्ता भटक कर अल्हागंज में आ गया डेमोइसेल क्रेन


=पक्षी के पैर में कैमरा डिवाइस भी लगी है, उसे देखने को लग रही भीड़
=पक्षी के एक पैर में दो छल्ले पड़े हैं, दूसरे पैर में ट्रैकिंग डिवाइस लगी है

फोटो परिचय : शाहजहांपुर के अल्हागंज में बुधवार को पकड़े जाने के बाद डेमोइसेल क्रेन पक्षी का वन विभाग की टीम ने इलाज किया। 
यूपी के शाहजहांपुर जिले के छोटे से कस्बे अल्हागंज में एक डेमोइसेल क्रेन पक्षी अपने झुंड से अलग होकर आ गया है। यह साइबेरियन पक्षी है, जिसे स्थानीय भाषा में कुरंजा पक्षी भी कहा जाता है। हमेशा यह पक्षी 50-100 पक्षियों के ग्रुप में रहता है। जानकार बताते हैं कि अगर यह पक्षी अकेला है तो यह निश्चित तौर पर ग्रुप से अलग होकर रास्ता भटक गया है। इस पक्षी के एक पैर में डिवाइस लगी है, यह माइक्रो कैमरा भी हो सकता है। दूसरे पैर में दो छल्ले पड़े हैं। अल्हागंज निवासी नरेंद्र राघव ने बताया कि ऐसा लगता है कि पक्षी को उड़ने में दिक्कत हो रही है, वह 50-100 मीटर ही उड़ पा रहा है। 

अल्हागंज के विवेकानंद इंटर कालेज के खेल मैदान में मंगलवार सुबह कुछ लोगों ने पक्षी को दाना चुगते देखा था। चूंकि पक्षी पैरों में डिवाइस और रिंग पड़े थे, इसलिए लोगों की इस पक्षी में दिलचस्पी बढ़ गई। पक्षी को देखने वालों की भीड़ लग गई। मंगलवार को जब भीड़ बढ़ी तो पक्षी डर के कारण उड़ कर कहीं चला गया। पर दूसरे दिन बुधवार यानी 17 अक्टूबर 2018 की सुबह पक्षी दुबारा से विवेकानंद इंटर कालेज के खेल मैदान में आकर बैठ गया। उसे देखने के लिए फिर भीड़ लग गई। कुछ देर के बाद पक्षी फिर उड़ गया। पक्षी ज्यादा उड़ नहीं पा रहा है। वह मैदान के 100-150 मीटर के दायरे में ही देखा जा रहा है। पक्षी के पैर में कुछ परेशानी है। पक्षी बार-बार अपने उस पैर को उठा लेता है, जिसमें डिवाइस लगी है। डिवाइस पर टी-7 लिखा हुआ है। अल्हागंज में कुछ दिन पूर्व भी ऐसा ही एक पक्षी देखने को मिला था, परंतु वह उड़ गया था। पक्षी के पैरो में डिवाइस लगे होने के चलते कुछ लोगों ने पुलिस को 100 नंबर पर फोन किया था। पुलिस के पहुंचने से पहले ही क्षी अल्हागंज के फतेहपुर गांव की ओर उड़ गया। 
=========================
जोधपुर और बीकानेर के गांवों में अधिक जाते हैं यह पक्षी
=पक्षियों पर शोध करने वाले लखीमपुर खीरी के निवासी केके मिश्रा ने बताया कि यह पक्षी साइबेरियन है। इसे डेमोइसेल क्रेन कहते हैं। उन्होंने बताया कि वल्र्ड वॉचर आर्गनाइजेशन इन पक्षियों के पैरों में डिवाइस लगा कर हमें इन्हें लोकेट करती रहती हैं। डिवाइस के जरिए ही पक्षियों के माइग्रेशन और रूट का पता लगता है। डेमोइसेल क्रेन पक्षी के बारे में यह जानकारी मिली है कि यह पक्षी राजस्थान के बीकानेर, जोधपुर के गांवों के तालाबों पर पानी पीने आते हैं। साइबेरिया से ईरान, अफगानिस्तान देशों से यह भारत आते हैं। डेमोइसेल क्रेन पक्षी छापर तालाब और घाना पक्षी विहार में ज्यादा आते हैं। केके मिश्रा बताते हैं कि अभी कुछ समय पहले यह डेमोइसेल क्रेन पक्षी लखीमपुर खीरी के भीरा इलाके में भी देखे गए थे। तब उन्होंने इन पक्षियों की तस्वीरें भी ली थीं। केके मिश्रा ने तस्वीरों को देखकर बताया कि अल्हागंज में जो डेमोइसल क्रेन पक्षी देखने को मिला है, उसके पैर में लगाई गई डिवाइस का वजन ज्यादा अधिक लग रहा है, इससे उसे दिक्कत लग रही है। 
========================
लखनऊ में प्राणी उद्यान भेजा जाएगा डोमाईजेल क्रेन पक्षी 
शाहजहांपुर। हिन्दुस्तान संवाद 
अल्हागंज में घायल अवस्था में मिले पक्षी का नाम डेमोइसेल क्रेन है, जोकि यूरो एशिया में पाया जाता है। उसके गले में पड़ी एल्यूमिनियम की रिंग पर एक नंबर पड़ा हुआ है। यह नंबर उसका कंट्री कोड बताता है। जिसे कैमरा कहा जा रहा है वह पीटीटी है, जिसका काम पक्षी का टै्रक रिकार्ड करना है। पक्षी किस दिशा व ऊंचाई पर इसकी जानकारी इस पीटीटी से पता चलती है। इसके साथ ही काले रंग का एक सोलर पैनल लगा है। जिससे टै्रक रिकार्डर चार्ज होता है। डीएफओ गोपाल ओझा ने कहा कि यह विदेशी पक्षी है, जो हमारे देश में मेहमान के रूप में आते हैं। शाहजहांपुर में इन पक्षियों के आना अच्छी बात है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह प्रवासी पक्षियों को किसी तरह की हानि न पहुंचाएं। अल्हागंज में घायल पक्षी पक्षी का इलाज चल रहा है। जिसे कल दोपहर को फिर से डॉक्टर को दिखाया जाएगा। इसके बाद उसे लखनऊ में चिड़ियाघर के डायरेक्टर के पास भेज दिया जाएगा। जहां प्राणी उद्यान के अस्पताल में उसका उपचार चलेगा। 



रिपोर्ट: विवेक सेंगर - ब्यूरो प्रमुख हिन्दुस्तान, शाहजहांपुर 
साभार: हिन्दुस्तान-बरेली 

No comments:

Post a Comment

आप के विचार!

जर्मनी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार "द बॉब्स" से सम्मानित पत्रिका "दुधवा लाइव"

हस्तियां

पदम भूषण बिली अर्जन सिंह
दुधवा लाइव डेस्क* नव-वर्ष के पहले दिन बाघ संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महा-पुरूष पदमभूषण बिली अर्जन सिंह

एक ब्राजीलियन महिला की यादों में टाइगरमैन बिली अर्जन सिंह
टाइगरमैन पदमभूषण स्व० बिली अर्जन सिंह और मैरी मुलर की बातचीत पर आधारित इंटरव्यू:

मुद्दा

क्या खत्म हो जायेगा भारतीय बाघ
कृष्ण कुमार मिश्र* धरती पर बाघों के उत्थान व पतन की करूण कथा:

दुधवा में गैडों का जीवन नहीं रहा सुरक्षित
देवेन्द्र प्रकाश मिश्र* पूर्वजों की धरती पर से एक सदी पूर्व विलुप्त हो चुके एक सींग वाले भारतीय गैंडा

Post Top Ad

Your Ad Spot