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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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Jun 16, 2016

बरखा तुम कब आओगी !


मानसून एक्सप्रेस : 1
उनकी खुशी देख तुम रो जरूर दोगे


पल-पल..हर-पल..हर क्षण..इंतजार करूंगा..तेरे आने का...स्वागत करूंगा...मिलूंगा भी...स्पर्श करूंगा..महसूस करूंगा..भीग जाऊंगा, बातें करूंगा...शिकवे करूंगा..नहीं सुनूंगा..सुनाऊंगा मजबूरियां..बिखर चुके सपने भी दिखाऊंगा..रोऊंगा..उनके दर्द कह दूंगा..तुझे सुनना होगा..मैं बोलता रहूंगा...कतई नहीं रुकूंगा..क्योंकि तुमने देर कर दी..बहाने किसी और को बताना..जो तुम्हारी सुन ले..मैं तुम्हें बोलते नहीं देखना चाहता हूं। पता नहीं तुम्हें क्या हुआ..तुम तो उम्मीद थे, कैसे टूट गए, लेकिन उनकी उम्मीदें अभी तुमसे हैं..जब तुम आओगे तो देखना उनकी खुशी, तुम रो दोगे, हमें पता है तुम्हारे आने की दस्तक आठ जून की रात से होगी। मेरे मित्र डा. राजीव ने बताया है। वह मौसम विज्ञानी हैं। तुम्हारी हर हरकत की खबर रखते हैं, लेकिन कभी-कभी तुम उन्हें भी गच्चा दे जाते हो। पिछले साल भी तुम देर से आए, तब मैंने कुछ नहीं कहा, इस बार जब टीवी देखता हूं तो बिपाशा गाना गाते हुए चिढ़ाती सी लगती है, वह पानी में पूरी तरह से भीगी हुई नाचती है, गाती है, कहती है कि मोहब्बत कर लेना तू...सावन आया...। तुम्हारी देरी के कारण मैंने तालाबों को मरते देखा है, सिसकते देखा है, तिल-तिल कर तालाबों को छोटा होते देखा है, इसलिए मैं निकला था पिछले महीने, गांवों में गया, अभियान चलाया, कुछ लोगों ने तालाब भरवा दिए,प्रशासन भी लग गया, 150 तालाबों का सौंदर्यीकरण करा दिया गया, पानी भर दिया गया, लेकिन शुकून अब भी नहीं है, नहरें सूखी हैं, गन्ने की फसल ऐंठ रही है, बच्चे तुम्हारे बगैर परेशान हैं, बुजुर्ग आसमान देख रहे हैं..उसी रास्ते आते हो न...तो आ जाओ...मिलकर खेलेंगे, सड़क पर, छत पर, भीग कर, जुखाम और बुखार भी हो जाएगा तो कोई बात नहीं...बस आ जाओ...इंतजार कर रहा हूं तुम्हारा...बेसब्री के साथ।
धन्यवाद 


विवेक सेंगर
हिन्दुस्तान दैनिक में शाहजहांपुर जनपद के प्रमुख, खोजी पत्रकार, इनसे viveksainger1@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

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