वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

May 13, 2016

आँख में पानी आ जाए तो यह तालाब और नदियाँ मुस्करा कर उफन पड़ेगी तुम सब के लिए ...

Dudhwa Live - An International Journal of Environment and Agriculture 
Vol.6, no.4 April 2016
सम्पादक की कलम से....
तपती धरती, प्यासे परिन्दें, सड़कों पर प्यास की विभीषिका उन सभी जानवरों के लिए जो इंसान की सोहबत में जंगल से उनके शहरों में आ गए, पानी बुनियादी जरुरत है प्यास एक त्रासदी, मैं पानी की बात कर रहा हूँ जो जुबान को तर न करे तो जीवों की जान चली जाए, और आँखों को तर न करे तो इंसानियत मर जाए- मगर अफ़सोस पानी की इस दरकार ने पानी का मैनेजमेंट कर दिया, बड़े बड़े प्रोजेक्ट, बड़ी रकम वाले फंड और मीडिया का शोरगुल जो टी आर पी के लिए है, एन जी ओ की चिल्लाहट, पानी की खबरों का व्यापार, जिसमें सबके अपने अपने छुपे हुए स्वार्थ, और इस चिंताजनक माहौल में तड़प रहे हैं जीव प्यास से, जल रहे हैं जंगल, और सूखी नदियाँ, सूखे तालाब, नष्ट कर दिए गए कुँए मानो कह रही हों की तुम्हारी आँखों से पानी सूख गया है तो हम क्यों भरे रहे हैं इस जीवनरस से तुम्हारे लिए, लेकिन इंसान की विनाशक प्रवत्ति ने बेबस कर दिया उन जानवरों को जो निर्भर थे इस प्रकृति के सहज वरदान से जो धरती पर सरलता से मौजूद था इनके लिए, तुमने तो धरती माँ का पेट भी फाड़ डाला, न जाने कितने सुराख कर दिए उसके सीने में फिर भी आज एक मूर्ख की तरह हाथ मल रहे हो बोरिंगे सुख रही है, हैवी पावर के इंजन भी धुक धुक कर बंद हो जा रहे है पर रसधार नही फूट रही धरती से, क्योंकि तुमने निरादर किया है प्रकृति का और इस माँ स्वरूपा वसुंधरा का, तुमने विनाश किया है अपने सहोदरों का जो धरती पर तुमसे पहले से रहते आये एक सुनियोजित तरीके से तुमने शिकार किया उनके समुदाय ही नहीं उनकी प्रजातियाँ ही नष्ट कर दी अपनी बेजा जरूरतों के लिए...अब मैं मशविरा नही दूंगा क्योंकि तुम सब बुद्धिमान हो जानते हो अपने कृत्य और उनके प्रतिफल भी फिर भी नहीं रुक रहे हैं तुम्हारे वो विनाशकारी शिकारी हाथ, नोच लेना चाहते है प्रकृति के उस हर खजाने को जो सब के लिए है ..विचारिएगा
आँख में पानी आ जाए तो यह तालाब और नदियाँ मुस्करा कर उफन पड़ेगी तुम सब के लिए ..याद रखना तुम्हारे लिए भी....क्षमा वत्स!

कृष्ण कुमार मिश्र

krishna.manhan@gmail.com

संस्थापक सम्पादक

अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका दुधवा लाइव  

www.dudhwalive.com




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