वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Nov 1, 2015

जब धरती थर्राई.....


नेपाल में आये हालिया भूकंप की एक बानगी....

सर्वे   भवन्तु   सुखिन:   सर्वे   सन्तु  निरामया: 
           सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत् 

अर्थात सभी सुखी होंसभी निरोगी होंसभी को शुभ दर्शन हों और कोई दु:ख से ग्रसित न हो, ऐसी भावना के साथ आप सभी को उस त्रासदी की कुछ तस्वीरें दिखा रहा हूँ, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त युवा फोटोग्राफर सतपाल सिंह ने नेपाल में आये भूकंप की विनाश लीला को अपने कैमरे में कैद किया, उनकी इस साहसिक यात्रा की हम प्रशंसा करते हैं, क्योंकि दुनिया इस शाश्वत सत्य को समझे और यह भी महसूस करे की भूकंप जाति धर्म और देश की सीमाओं से परे है, मानवता ही नहीं सभी जीव जंतु इस भयंकर त्रासदी को झेलते हैं यहाँ तक की निर्जीव वस्तुएं भी अपना स्वरूप बदल देती हैं, ये तस्वीरें त्रासदी के इतने दिनों बाद साझा करने का सिर्फ एक ही मकसद है हमारा, की हम अपने अतीत से सीखें और धरती की इस तकलीफ को भी समझ सकें जिसे हम अपने कृत्यों से उत्पन्न करते हैं, मानवजनित कारण जैसे सुरंग परियोजनाएं, नदियों को बाँधना यानी पुलों का निर्माण, परमाणु विस्फोट और पानी के लिए जमीन में लगातार होते सुराग, ये सब वजहें तो हैं ही इससे इतर भी तमाम इंसानी गतिविधियाँ धरती को थर्राने पर मजबूर कर देती हैं, नतीजतन इंसानों के अलावा न जाने कितने बेक़सूर जीव जंतु मारे जाते हैं हमारी कथित विकास योजनाओं की बलि बेदी पर.....धरती के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का एक एहसास चाहिए सभी से, ताकि जो धरती हमारा घर है वह सुन्दर और सहज रहे..आमेन 
---सम्पादक 



















सतपाल सिंह ( ख्याति प्राप्त वन्य जीव फोटोग्राफर, कई राष्ट्रीय व् अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित,  लखीमपुर खीरी जनपद के मोहम्मदी तहसील में निवास, मौजूदा वक्त में दिल्ली में एक प्रतिष्ठित फोटोग्राफी संस्थान में अध्यापन, इनसे satpalsinghwlcn@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं)


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