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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Jun 28, 2013

पेड़ों के स्पंदन







समझते हैं लोग क्या
पेड़ से
होने से,उसके न होने से
पेड़ का मतलब छाया,
हवा,लकड़ी,
हरियाली
पेड़ जब सनसनाते
सन्नाटे को तोड़ते
कभी खुद टूट जाते
तूफ़ान से लड़कर
देखते लोग पेड़ वे
आंधी में टूटे हुए
होते हैं कितने लाभदायक
नहीं टूटते तब
टूटने पर
आते हैं अनगिनत काम

घरद्वार, हलमूँठ और बैलगाड़ी
नाव घाट,मोटर,रेल,
बक्सा-संदूक,कुर्सी-मेज़
न जाने कहाँ-कहाँ
सोचते हैं क्या हम कभी ?
पेड़ों के स्पंदन
उनके जीवन और मृत्यु की बात
हरी-पीली पत्तियों एवं शिराओं में
बहते जीवन रस के बारे में
क्या आदमी के साथ
पेड़ों का संबंध
है मात्र पूजा और उपयोग का
प्रतीक होते हैं पेड़
सतत जीवंतता,उत्साह
और प्रेम के




शैलेन्द्र  चौहान 
shailendrachau@gmail.com

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