tag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post4886871207436449478..comments2024-03-08T13:47:27.081+05:30Comments on दुधवा लाइव: एक ऐसी प्रजाति जिसने अपनी संततियों का सारा हिस्सा खा लिया !Dudhwa Livehttp://www.blogger.com/profile/13090138404399697848noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-70014537724865742512010-03-28T14:20:14.906+05:302010-03-28T14:20:14.906+05:30niceniceumesh joshinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-71109905187246313572010-03-25T22:55:01.909+05:302010-03-25T22:55:01.909+05:30देवेन्द्र ने अपनी कहानियों की तरह ही यह लेख मर्मस्...देवेन्द्र ने अपनी कहानियों की तरह ही यह लेख मर्मस्पर्शी संवेदनशीलता के साथ लिखा है। गौरैया के विलुप्त होते जाने के तथ्य को एक रूपक की तरह प्रयोग करने से लेख का वितान व्यापक हो गया है। अफसोस कि मनुष्य ही मानवीयता का सबसे बड़ा दुश्मन बन कर उभरा है।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-33082012816123574602010-03-25T19:41:37.008+05:302010-03-25T19:41:37.008+05:30good article sir...good article sir...sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-2100951025040491372010-03-25T16:31:37.025+05:302010-03-25T16:31:37.025+05:30सर, बेहद प्रभावशाली लेख, हमेशा की तरह, लेकिन गौरैय...सर, बेहद प्रभावशाली लेख, हमेशा की तरह, लेकिन गौरैये के बहाने आपने अपनी <br /><br />यहाँ अमरीका मे विलियम्सबर्गे मे सुबह के ६ बज रहे है। मै अपनी ससुराल मे हू, उनका घर'क्न्ट्री साईड' मे है और सुबह नींद चिडियों की चहचहाट से ही खुली, कल रात भोजन पर जाते समय खेतों मे सैकडों हिरन दिख गये। लेकिन कब तक रहेगा यह सब? मानव आबादी व पशु आबादी मे संघ्रष है। पशुओं को पीछे हटना ही पडेगा -- हम अति विकसित जो हैं। सर आपने गौरेया से आगे जा कर बहुत कुछ कह दिया है। दिखने मे विकसित मानव संभ्यता, शायद जर्जर हो चुकी है, मृत्यू कि प्रतीक्षा करती, बची खुची आक्सीजन खींच रही है।स्वप्निल भारतीयhttp://swapnilbhartiya.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-67033232282299913762010-03-24T18:13:33.487+05:302010-03-24T18:13:33.487+05:30वर्तमान हमेसा समर्थ और शक्तिशाली लोगों का होता है ...वर्तमान हमेसा समर्थ और शक्तिशाली लोगों का होता है और इतिहास सार्थक लागों का .शायद गौरैया कि मौजूदगी वाकई सार्थक थी इसलिए तो वह आज इतिहास के पन्नों में सिमट रही है .डॉ साहब ने सच लिखा है !इन्सान ने हमेसा ताकतवर बनने कि कोशिश की,सार्थक बनने की बात तो कभी सोची हो नहीं .और हा गौरैया को मै अपने नजरिये से सर्वहारा समझता हू .इस सर्वहारा के हकों को भी इंसानी वर्ग के बुर्जुआजी पैतरों और सजिसों ने हड़प लिया .सच तो है कि गौरैया वर्ग संघर्ष का शिकार हो गई .अब वो गाय तो थी नहीं कि जिसके लिए भगवा रंग के झंडे हवा में लहरा दिए जाते और चाँद मिनटों के भीतर समूची सभ्यता और संस्कृति खतरे में पड़ जाती .और न ही उसने किसी को इतिहास में दुश्मनों से बचाने का किस्सा ही तैयार किया था कि वो किसी धर्म से जोड़ दी जाती .वो तो मराठी भी नहीं बोल सकती है कि राज ठाकरे और महाराष्ट नव निर्माण सेना के रणबांकुरे उसे बचाने कि खातिर सड़कों पर उतर आते .न ही गौरैया लाल सलाम कहती थी कि उसके खातिर समाजवादी खूनी संघर्ष का एलान हो जाता और उसकी जिन्दगी साम्यवाद के लिए अहम् बन जाती ...गौरया का मतलब है कामन मेन.धत्त ...स्टूपिड कमान मेन.!अगर वो होती भी तो आज भाई लोग उसकी जनसँख्या बढने का रोना रो कर वन विभाग से उसे मरने का लाइसेंस लेने पहुच गए होते .वो नहीं है तो किसी को क्या तकलीफ है .आम आदमी कि तरह गौरैया के लिए शायद इतिहास में भी जगह नहीं है .क्योकि इस बदबूदार इतिहास का रचयिता तो वाही मानव है जो पीढ़ियों के बीच संघर्सों को जन्म देता आया है ,जिसने किसी महिला के सतीत्व को परखने कि खातिर आग सजाई है और जो ये इजाजत भी देता है कि अपने (धर्म का नाम लेना ठीक नहीं है )कि खातिर मरना भी अच्छा है .तो गौरैया अगर तुम तक मेरी आवाज पहुच रही हो तो एक बात याद रखना ..तुम डॉ देवेन्द्र,केके मिश्र और विवेक सेंगर यहाँ तक कि मेरी बात और पुकार को मत सुनना .!इस बार आना तो तुम्हारे साथ किसी धर्म जाती और पार्टी का नाम जरुर जुड़ा हो ...फिर देखना तुम्हारा नाम और फोटो सिर्फ तम्बाकू के पुच पे नहीं किसी धर्म ध्वजा या मतदान पत्र पर होगा ...फिर तुमको कोई गायब नहीं कर पायेगाmayanknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-30519225077499368512010-03-24T18:12:38.606+05:302010-03-24T18:12:38.606+05:30वर्तमान हमेसा समर्थ और शक्तिशाली लोगों का होता है ...वर्तमान हमेसा समर्थ और शक्तिशाली लोगों का होता है और इतिहास सार्थक लागों का .शायद गौरैया कि मौजूदगी वाकई सार्थक थी इसलिए तो वह आज इतिहास के पन्नों में सिमट रही है .डॉ साहब ने सच लिखा है !इन्सान ने हमेसा ताकतवर बनने कि कोशिश की,सार्थक बनने की बात तो कभी सोची हो नहीं .और हा गौरैया को मै अपने नजरिये से सर्वहारा समझता हू .इस सर्वहारा के हकों को भी इंसानी वर्ग के बुर्जुआजी पैतरों और सजिसों ने हड़प लिया .सच तो है कि गौरैया वर्ग संघर्ष का शिकार हो गई .अब वो गाय तो थी नहीं कि जिसके लिए भगवा रंग के झंडे हवा में लहरा दिए जाते और चाँद मिनटों के भीतर समूची सभ्यता और संस्कृति खतरे में पड़ जाती .और न ही उसने किसी को इतिहास में दुश्मनों से बचाने का किस्सा ही तैयार किया था कि वो किसी धर्म से जोड़ दी जाती .वो तो मराठी भी नहीं बोल सकती है कि राज ठाकरे और महाराष्ट नव निर्माण सेना के रणबांकुरे उसे बचाने कि खातिर सड़कों पर उतर आते .न ही गौरैया लाल सलाम कहती थी कि उसके खातिर समाजवादी खूनी संघर्ष का एलान हो जाता और उसकी जिन्दगी साम्यवाद के लिए अहम् बन जाती ...गौरया का मतलब है कामन मेन.धत्त ...स्टूपिड कमान मेन.!अगर वो होती भी तो आज भाई लोग उसकी जनसँख्या बढने का रोना रो कर वन विभाग से उसे मरने का लाइसेंस लेने पहुच गए होते .वो नहीं है तो किसी को क्या तकलीफ है .आम आदमी कि तरह गौरैया के लिए शायद इतिहास में भी जगह नहीं है .क्योकि इस बदबूदार इतिहास का रचयिता तो वाही मानव है जो पीढ़ियों के बीच संघर्सों को जन्म देता आया है ,जिसने किसी महिला के सतीत्व को परखने कि खातिर आग सजाई है और जो ये इजाजत भी देता है कि अपने (धर्म का नाम लेना ठीक नहीं है )कि खातिर मरना भी अच्छा है .तो गौरैया अगर तुम तक मेरी आवाज पहुच रही हो तो एक बात याद रखना ..तुम डॉ देवेन्द्र,केके मिश्र और विवेक सेंगर यहाँ तक कि मेरी बात और पुकार को मत सुनना .!इस बार आना तो तुम्हारे साथ किसी धर्म जाती और पार्टी का नाम जरुर जुड़ा हो ...फिर देखना तुम्हारा नाम और फोटो सिर्फ तम्बाकू के पुच पे नहीं किसी धर्म ध्वजा या मतदान पत्र पर होगा ...फिर तुमको कोई गायब नहीं कर पायेगाmayank bajpainoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-86735710279153482302010-03-24T15:15:42.505+05:302010-03-24T15:15:42.505+05:30kisi wad ki awasyakta hi kakan hai, jab manushyata...kisi wad ki awasyakta hi kakan hai, jab manushyata ko hi khatra paida ho gaya hai. Aise mahaul main Dr Devendra asani se darpan dikha dete hain.Iliyas Husainnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-60292203983695211522010-03-23T21:08:03.990+05:302010-03-23T21:08:03.990+05:30बहुत प्रभावशाली!बहुत प्रभावशाली!शुद्ध मराठीhttp://shuddhamarathi.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-33988496186756527212010-03-23T13:38:44.409+05:302010-03-23T13:38:44.409+05:30सच है, गौरैया तो केवल प्रतीक है उन तमाम चीज़ों, जी...सच है, गौरैया तो केवल प्रतीक है उन तमाम चीज़ों, जीवों की जो एक-एक कर विलुप्त होते जा रहे हैं. प्रभावी आलेख. आभार.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-83505571486182124592010-03-23T05:19:51.487+05:302010-03-23T05:19:51.487+05:30बहुत प्रभावशाली एवं विचारणीय आलेख.बहुत प्रभावशाली एवं विचारणीय आलेख.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6516832496554770769.post-84397179398477842482010-03-23T00:38:20.346+05:302010-03-23T00:38:20.346+05:30जब आबादी ऐसे बढ़ेगी तो और क्या होगा..जब आबादी ऐसे बढ़ेगी तो और क्या होगा..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com